रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े स्कूल समूह कृष्णा पब्लिक स्कूल भिलाई द्वारा राजधानी रायपुर सहित बिलासपुर और अन्य जिलो में सीबीएसई से संबद्धता वाले स्कूलों की दोबारा जांच होगी। संभागीय संयुक्त संचालक द्वारा इस संदर्भ में आदेश जारी कर दिया गया है। यहां पच्चीस हजार से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं। केपीएस के कुछ ही ब्रांच को मान्यता प्रदान की गई थी। बगैर मान्यता लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा कई अन्य ब्रांच खोल लिए गए। यहां निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम के तहत जरूरतमंद और गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दिए जाने का भी आरोप है।
मान्यता प्राप्त नहीं होने के बाद भी बच्चों से लाखों रुपए फीस लिए जाने और आरटीई नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया गया है। इन सभी बिंदुओं पर सूक्ष्म जांच करने कहा गया है। रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी को जांच पूर्ण कर 12 मार्च तक रिपोर्ट सौंपने कहा गया है। गौरतलब है कि कृष्णा पब्लिक स्कूल के राजधानी सहित भिलाई में भी कई ब्रांच हैं।
पूर्व में भी शिकायत
इसे लेकर वर्ष के पूर्व में भी शिकायत की गई थी। इसके बाद जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा गैर मान्यता प्राप्त ब्रांच को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा गया था। कार्रवाई पूर्ण होने तक नवीन प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी। उस वक्त कहा गया कि अन्य व्यक्तियों द्वारा केपीएस से मिलते-जुलते नाम अथवा हमनाम का इस्तेमाल कर संस्था संचालित की जा रही है। ऐसे स्कूलों से जवाब मांगा गया था। इसके बाद कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
संरक्षण का आरोप
शिकायतकर्ता कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने आरोप लगाया है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा केपीएस स्कूल के भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया जा रहा है। नियमानुसार चार-पांच स्कूलों को ही मान्यता दी गई है, जबकि केपीएस स्कूल समूह के अध्यक्ष मदन मोहन त्रिपाठी के परिजनों द्वारा किराए के घरों में गैर मान्यता वाले स्कूल चलाए जा रहे हैं। लगातार शिकायत के बाद भी इतने गंभीर विषय पर त्वरित कार्यवाही के स्थान पर केवल खानापूर्ति ही की जा रही है।