नहीं चाहिए कांग्रेस की टिकट : प्रत्याशी पार्टी की टिकट लौटाकर निर्दलीय उतरा मैदान में, बदला सियासी समीकरण

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कुरुद ब्लॉक में कांग्रेस पार्टी ने योगेश चंद्राकर को टिकट दिया। लेकिन उन्होंने पार्टी का दिया टिकट वापस कर दिया है और अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में न केवल पार्षद, बल्कि अध्यक्ष पद के लिए भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

यशवंत गंजीर- कुरूद। नगर पंचायत कुरुद के हालिया चुनाव में एक ऐसा ट्विस्ट आया है, जिसने ना केवल स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि पूरे जिले की चुनावी तस्वीर को ही बदल कर रख दिया है। कांग्रेस पार्टी द्वारा पार्षद पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार के रूप में चयनित योगेश चंद्राकर ने पार्टी का टिकट वापस कर दिया है और अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में न केवल पार्षद, बल्कि अध्यक्ष पद के लिए भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

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निर्दलीय प्रत्याशी योगेश चंद्राकर

योगेश का यह कदम कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। क्योंकि, पार्टी ने उन्हें जिला कांग्रेस कमेटी और प्रदेश चुनाव समिति द्वारा अनुमोदित उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा था। लेकिन अचानक टिकट वापस लेकर उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जिससे पार्टी के भीतर असंतोष और असहमति की नई कहानी सामने आई है।

कांग्रेस ने उजागर हो रहा असंतोष

यह घटनाक्रम पार्टी के अंदर की राजनीति और टिकट वितरण प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। कुछ कार्यकर्ताओं का मानना है कि, यह कदम पार्टी में छिपे असंतोष और भीतरघात को उजागर करता है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, योगेश का यह कदम एक सशक्त चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। जिसमें वह दोनों प्रमुख पदों के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इसी बीच, कांग्रेस ने आनन-फानन में एक और कदम उठाया है। पार्टी ने वार्ड क्रमांक 8 से डमी प्रत्याशी के रूप में मुकेश साहू, जो एक अधिवक्ता हैं, को उम्मीदवार घोषित किया है। यह फैसला कांग्रेस के लिए अपनी साख बचाने और स्थिति को संभालने का प्रयास प्रतीत हो रहा है, क्योंकि योगेश के निर्णय ने पार्टी की चुनावी रणनीति को झकझोर दिया था।

बीजेपी नेता ने कसा तंज

भाजपा नेता भानु चंद्राकर ने कांग्रेस पर एक तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का हाल देखकर लगता है कि वे चुनाव जीतने की बजाय 'कैसे हार जाए' का मास्टर क्लास दे रहे हैं। कुरूद नगर पंचायत में उनका अपना ही उम्मीदवार टिकट लेकर भाग गया, यह तो वही बात हुई 'नाव में बैठे-बैठे किनारे से लड़ाई'। उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस नेतृत्व इतना कमजोर है कि उनके पास अपने कार्यकर्ताओं को संभालने की भी क्षमता नहीं है। एक तरफ वे 'लोकतंत्र के रक्षक' होने का दावा करते हैं, और दूसरी तरफ उनके अपने ही लोग उनसे भाग रहे हैं। लगता है, कांग्रेस में 'आजादी' का मतलब है - पार्टी से आजादी। उनके पास न तो कोई विजन है, न ही मिशन। बस एक ही लक्ष्य है - किसी तरह कुर्सी मिल जाए।

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