यशवंत गंजीर- कुरुद। छत्तीसगढ़ के कुरुद में जल संचयन से जनभागीदारी कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में निजी स्वार्थ को छोड़कर जनहित और पानी संचय के बारे में बताया गया। इस मौके पर महासमुंद सांसद रूपकुमारी चौधरी मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची। 

विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि, आज पूरा विश्व जीवन की प्राथमिक आवश्यकता पानी की समस्या को लेकर चिंतित है, पानी के बिना जीवन की परिकल्पना करना मुश्किल है। हमने विभिन्न अधोसंरचना निर्मित कर बिजली, पानी एवं अन्य व्यवस्था ठीक कर ली है। जिले में जल एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक है फसल चक्र परिवर्तन। इसके तहत ग्रीष्मकालीन फसलों में धान के बदले दलहन,  और कम पानी मांग वाली फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि, परसतराई ग्राम की तर्ज पर सभी किसानो को जागरूक होकर दलहन- तिलहन, नकदी फसलों की ओर रूख कर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान किया। 

लोगों को बीज देते विधायक और सांसद 

सांसद बोलीं- भूजल स्तर में लगातार हो रही है गिरावट

महासमुंद सांसद रूपकुमारी चौधरी ने कहा कि, भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट, चिंता का विषय है। धमतरी जिला धान उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन आपको पता है कि धान उत्पादन में अधिक मात्रा में पानी की आवश्कता होती है। आज की वर्तमान परिस्थिति को देखते आने वाले भयावह स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है, जिसके लिए पानी संचय करने की हम सभी को आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी ने मिलेट्स को बढ़ावा देने, धान के बदले अन्य फसलों को अपनाने की बात कही, ताकि अच्छी आय अर्जित हो सके। कुरूद हमेशा नयी पहल को स्वीकारते हुए आगे बढ़ा है इसलिए इसमें भी अपनी सहभागिता निभाए। उन्होंने राष्ट्रीय बागवानी कार्यक्रम के तहत धमतरी जिले को जोड़ने की बात कही। 

कार्यक्रम में आये लोग 

कलेक्टर ने लोगों को दलहन, तिलहन और नगदी फसलों को लेने के लिए किया प्रोत्साहित 
              
इस कार्यक्रम में कलेक्टर नम्रता गांधी ने इस अवसर पर लोगों को दलहन, तिलहन और नगदी फसलों को लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि, मार्कफेड के माध्यम से भारत सरकार के समर्थन मूल्य की तर्ज पर दलहन, तिलहन फसल खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका फायदा उठाएंगे। उन्होंने दलहन, तिलहन और नकदी फसलों की बीमा की प्रक्रिया करने की भी बात कही। 

किसान करवा रहे हैं दलहन-तिलहन के लिए पंजीयन

कार्यक्रम के आरंभ में प्रभारी उप संचालक कृषि मनोज सागर बताया कि, जिले में जल संरक्षण के लिए फसल चक्र परिवर्तन अपनाने हेतु सतत प्रयास किये जा रहे है। जिसका असर अब ग्रामीण अंचल के किसानों में दिखायी देने लगा है, जो स्वप्रेरित होकर दलहन-तिलहन फसलों के लिए बीज निगम मे अपना पंजीयन करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि, जिले के लगभग 200 किसान ने पंजीयन हेतु अपना आवेदन प्रस्तुत किया है, जिसका रकबा लगभग 350 एकड़ के करीब है। बीते वर्षो में जहां दलहन तिलहन का रकबा 14 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 25 हजार हेक्टेयर हो गया है। जिले के परसतराई गांव के किसानों को देखकर अब अन्य गांवों के किसान फसल च्रक परितर्वन को अपनाने आगे आ रहे है। 

बीज निगम में करवा सकते हैं पंजीयन 

उन्होंने आगे बताया कि, जिले के ऐसे किसान जो फसल चक्र परितर्वन करना चाहते है, वे बीज निगम में अपना पंजीयन करवा सकते है। इसके लिए आवश्यक दस्तावेजो में बी-1, खसरा, आधार कार्ड और बैंक पासबुक छायाप्रति की आवश्यकता होगी। जिला प्रशासन और ग्रामीणों की पहल पर किसानों को प्रशिक्षण इत्यादि देकर इस दिशा में जोड़ा जा रहा है, जिसका परिणाम अब भविष्य में नजर आयेगा। 

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प्रगतिशील किसानों ने लोगों को दी जानकारी 

कार्यक्रम को रविकर साहेब, कृषि कर्मण्य पुरस्कार से सम्मानित प्रगतिशील किसान भोलाराम साहू सहित अन्य प्रगतिशील किसानों ने संबोधित कर दलहन, तिलहन और नगदी फसलों से होने वाले फायदों को साझा किया। वहीं रासायनिक कीटनाशक के दुष्परिणामों के बारे में बताते हुए जैविक पद्धति से खेती करने की बात कही। इसके साथ ही दलहन, तिलहन, सब्जी की खेती के अलावा मिलेट्स उत्पादन पर भी जोर दिया। उन्होंने राजस्थान के कृषि वैज्ञानिक  सुभाष पालेकर की खेती की विधि का प्रशिक्षण जिले के किसानों को देने की बात कही।