पंकज भदौरिया-दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 78 लाख रुपये के फर्जीवाड़ा सामने आया था। इस मामले में सीटी कोतवाली तात्कालिक स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक देवेंद्र झाड़ी के खिलाफ गबन मामले में FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में बैंक से लेकर विभाग के अन्य लोगो की संलिप्तता के अंदेशे से इंकार नही किया जा सकता है। क्योंकि, लाखों रुपये गबन की खबर बाहर निकलने में 2 वर्ष लग गये। इस बात से ही इस भ्रष्टाचार की जड़ों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
उस समय के तात्कालिन जिला पंचायत सीईओ आईएएस अधिकारी आकाश छिकारा और लेखापाल कैलाश गौड़ के बैंक चेक पर दस्तक़ से खाता क्रमांक 3575460495 से 18 लाख 44 हजार 806 रुपये और 59 लाख 77 हजार 285 रुपये वर्ष 2022 के अगस्त और अक्टूबर महीने निकाले गए हैं। जिसे जांच में प्रशासन फर्जी हस्ताक्षर बता रहा है। आहरित दोनो चेक सेंट्रल बैंक दंतेवाड़ा से है। इस पूरे मामले में बैंक की भूमिका भी संदिग्ध नजऱ आ रही है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
बड़ा सवाल- वार्षिक ऑडिट में क्यों नहीं पकड़ाई गड़बड़ी
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत दंतेवाड़ा जिले में हुये कार्यो का वित्तीय लेखा जोखा का हर वर्ष आडिट किया जाता है। पैसों की गड़बड़ी का यह मामला वर्ष 2022 का है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, वार्षिक आडिट में यह गड़बड़ी कैसे नही पकड़ाई। यह एक जांच का विषय है। जिस पर अब पुलिस जांच कर रही है।
बैंक में दोनों अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर भी पकड़ में नहीं आये
सेंट्रल बैंक दंतेवाड़ा से आहरण दोनो चेक पर अगर फर्जी हस्ताक्षर अधिकारी और लेखपाल के हुये है। तो इस गड़बड़ी को बैंक के अधिकारी कैसे पकड़ नही पाये या फिर यह भी कह सकते हैं कि, उक्त समय मे कार्यरत बैंककर्मी की भूमिका भी मामले में संदिग्ध है। फिलहाल इस दिशा पर भी जांच की जा रही है।
देवेंद्र झाड़ी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर
इस पूरे फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड देवेंद्र झाड़ी के खिलाफ FIR दर्ज होते ही झाड़ी फरार चल रहा है। जिसकी तलाश में दंतेवाड़ा पुलिस जुटी हुई है। वही दंतेवाड़ा एडिशनल एसपी रामकुमार बर्मन ने कहा कि, हमारी जांच जारी है। हैंड राइटिंग एक्सपर्ट की मदद से चेक पर दस्तखत का मिलान करवाया जायेगा. साथ इस प्रकरण से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से जांच की जा रही है।
गंगा वाटर समूह के नाम से निकाले पैसे
वहीं नए लेखापाल प्रमोद दुर्गम से बातचीत में पता चला कि, जब इस तरह के फर्जी चेक के आहरण का खेल चल रहा था। तब वे पदस्थ नही थे उस वक्त पदस्थ लेखा अधिकारी कैलास गौड़ थे। जब उनसे चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि, मेरे सिग्नेचर नही थे। साथ ही जिस गंगा वाटर समूह के नाम पैसे निकले हैं। उस समूह को भी मैं नही जानता हूं। अब देखने वाली बात यह है कि, सरकारी खजाने में 78 लाख रुपये की सेंधमारी में और कौन- कौन से तार जुड़े हैं। जिला पंचायत के सूत्र बता रहे हैं कि, एक सिंडिगेट बनाकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है।