राजा शर्मा-डोंगरगढ़। राजनांदगांव जिले के धर्म नगरी डोंगरगढ़ क्षेत्र में शराब का कारोबार मकड़ी के जाल जैसा फैला हुआ है। कांग्रेस की सरकार में बीजेपी के नेताओं का मुद्दा अवैध शराब बिक्री था। बीजेपी नेताओँ ने जनता को आश्वासन दिया था कि, उनकी सरकार आने पर पूरी तरह से शराब बंदी की जाएगी। लेकिन यहां पर हालात ऐसे हैं कि, शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर वे आम लोगों से मारपीट करते हैं। हद तो तब पार होती है जब शराब माफिया गांव के जनप्रतिनिधि से ही मारपीट करने लगते हैं।
ताजा मामला डोंगरगढ़ क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सेंदरी का है। सरपंच कृष्ण कुमार सिन्हा ने बताया कि, ग्रामीणों ने शराबबंदी को लेकर मीटिंग रखी थी। इस मीटिंग में गांव में अवैध शराब बेचने वाले व्यक्ति को बुलाकर शराब न बेचने की हिदायत दी गई। इसके बाद सभी ग्रामीण अपने-अपने घर लौट गए। तभी द्वारका प्रसाद ने सरपंच को अपने घर के पास बुलाया और उसके साथ मारपीट की। घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीण पुलिस थाना पहुंचे और मामले की शिकायत दर्ज कराई। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की।
जिम्मेदार शासन के आदेश को सरेआम दिखा रहे अंगूठा- डॉ रमन सिंह
वहीं कुछ दिन पहले वरिष्ठ भाजपा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह जिले के एक दिवसीय प्रवास पर आए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट तौर पर कहा था कि, अवैध शराब बिक्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस और आबकारी विभाग को कड़ाई से निर्देश दिए गए हैं। लेकिन डोंगरगढ़ से सामने आए मामले को देखकर ऐसा लग रहा है मानो जिम्मेदार विभाग कहीं न कहीं शासन के आदेश को भी खुलेआम अंगूठा दिखा रहे हैं।
माफिया को पुलिस संरक्षण की चर्चा
अवैध शराब का यह कारोबार मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से लेकर छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ है। पुलिस लगातार अवैध शराब बरामद कर कार्रवाई कर रही है। पर क्या ये वही असली माफिया हैं जिन्हें पुलिस ने पकड़ा है या फिर छोटे-मोटे कोचिया हैं जिनके ऊपर जिम्मेदार विभाग कार्रवाई कर सिर्फ खाना पूर्ति कर शासन को खुल्ले आम अंगूठा दिखा रहे हैं। आखिर इन माफियाओं को संरक्षण कौन दे रहा है?