रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार अनवर ढेबर और उनके सहयोगी अरविंद सिंह की मुश्किलें कम होने नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार को स्पेशल कोर्ट ने दोनों को 12 अप्रैल तक EOW और ACB की हिरासत भेज दिया है। दोनों आरोपियों की रिमांड पूरी होने के बाद ब्‍यूरो ने उन्‍हें रायपुर के स्‍पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। 

जहां ब्‍यूरो ने दोनों आरोपियों से पूछताछ के लिए कोर्ट से उनकी रिमांड बढ़ाने की मांग की। जिसे कोर्ट द्वारा मंजूर कर लिया गया है और अब दोनों आरोपी 12 अप्रैल तक रिमांड में रहेंगे। आपको बता दें कि, छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में कथित तौर पर हुए तीन हजार करोड़ के शराब घोटाला में ईडी की गिरफ्तारी के बाद से जेल बंद अरविंद सिंह और अनवर ढेबर को एसीबी-ईओडब्‍ल्यू ने 4 दिन पहले गिरफ्तार किया था।

इन सवालों को लेकर ईडी ने दर्ज करायी FIR 

शराब घोटला का मास्‍टर माइंड कौन है और यह घोटाला कैसे हुआ। इसको लेकर ईडी शिकायत पर 68 लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज किया गया है. जिसमें उनकी क्‍या भूमिका है और शराब से कितनी कमाई हुई है। कितना हिस्‍सा किस अफसर और नेता को मिला है। इस पैसे को नेताओं और अफसरों ने कहां और कैसे निवेश किया। इन सभी प्रश्‍नों का जवाब एफआईआर में भी मौजूद हैं।

इनके नाम हैं शामिल और बताई गयी है भूमिका 

ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्‍ल्‍यू में दर्ज FIR में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्‍टर माइंड बताया गया है। FIR में शामिल बाकी आईएएस और अन्‍य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्‍सा इन्‍हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्‍य एवं उद्योग विभाग के संयुक्‍त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्‍तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्‍लानिंग की थी।

आईएएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे का नाम शामिल 

FIR के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्‍त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। त्रिपाठी ने अपनी पत्‍नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। अनवर ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया। FIR में छत्‍तीगसढ़ के पूर्व मुख्‍य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। 

कवासी लखमा को मिलते थे 50 लाख रुपये महीने 

ईडी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्‍तावेजों से हुआ है। प्रदेश में बड़े स्‍तर पर हुए शराब घोटाला में तत्‍कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये हिस्‍सा मिलता था। एफआईआर के अनुसार लखमा के साथ ही विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की तरफ से 50 लाख रुपये हर महीने दिया जा रहा था।