रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को बुधवार को ED ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया। जहां कोर्ट ने उन्हें 29 अगस्त तक न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। ED ने कोर्ट में अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी और अनिल टुटेजा को घोटाले का मास्टर माइंड बताया है। ED ने दोनों को एक साथ बैठाकर पूछताछ की है। लेकिन अब तक ED को कोई अहम जानकारी हाथ नहीं लगी है। जिसके बाद दोनों आरोपी अब 29 अगस्त तक रायपुर के सेंट्रल जेल में ही बंद रहेंगे।
ED ने 3 दिन पहले जारी किया प्रेस नोट
उल्लेखनीय है कि, 3 दिन पहले ED ने प्रेस नोट जारी कर कहा था कि, इस पूरे सिंडिकेट में अनवर ढेबर वो ताकतवर व्यक्ति था, जो तत्कालीन आईएएस रहे अनिल टुटेजा के साथ मिलकर शराब सिंडिकेट चलाता था। इन दोनों ने मिलकर ही पूरे घोटाले की साजिश रची थी। अनवर ने आईएएस अनिल टुटेजा के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए आबकारी विभाग में अपने पसंदीदा अधिकारियों को नियुक्त करता था। इस तरह वह पूर्ण रूप से आबकारी विभाग का मंत्री बन गया था।
घोटाले में एपी त्रिपाठी की है अहम भूमिका
ED के मुताबिक, जांच में यह खुलासा हुआ है कि, अरुणपति त्रिपाठी ने सरकारी शराब की दुकानों के जरिए बेहिसाब शराब बिक्री की योजना को लागू करने में अहम भूमिका निभाई। उसने ही 15 जिले जहां अधिक शराब बिक्री होती थी और वहां से राजस्व आता था, उन जिलों के आबकारी अधिकारियों के साथ मीटिंग कर अवैध शराब बेचने के निर्देश दिए थे।
त्रिपाठी ने की थी डुप्लीकेट होलोग्राम की व्यवस्था
ED ने अपने प्रेस नोट में आगे बताया कि, पूर्व आबकारी एमडी एपी त्रिपाठी ने ही विधु गुप्ता के साथ डुप्लीकेट होलोग्राम की व्यवस्था की थी। जहां शराब की बिक्री से आने वाले पैसों में एक निश्चित राशि अरुण पति त्रिपाठी को दी जाती थी। ED की जांच में पता चला है कि, शराब घोटाले में भ्रष्टाचार 2019 से 2022 के बीच चला है, जिसमें कई तरीकों से भ्रष्टाचार किया गया था।
इस पूरे मामले को ED ने तीन भागों में विभक्त कर समझाया है-
1. पार्ट A के तहत छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड़ (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य का निकाय) की ओर से शराब की प्रत्येक पेटी के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई थी। इस पार्ट में CSMCL के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था। जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा हो गए थे।
2. पार्ट B के तहत सरकारी शराब दुकान के जरिए बेहिसाब कच्ची और देशी अवैध शराब की बिक्री की गई। यह बिक्री नकली होलोग्राम से हुई। जिससे राज्य के खजाने में एक भी रुपए नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी राशि सिंडिकेट ने अपने जेब में डाल ली।
3. पार्ट C के तहत कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई। और एफएल 10ए लाइसेंस धारक जो विदेशी शराब उपलब्ध कराते थे उनसे भी कमीशन लिया गया।
2100 करोड़ रुपए सिंडिकेट के पैसे में गए
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है। जिसमें शराब सिंडिकेट के जेबों में 2100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध आय भरी गई। एपी त्रिपाठी और अनवर ढेबर की गिरफ्तारी से पहले रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लो को भी ED ने गिरफ्तार किया था। आपको बता दें कि, शराब घोटाले की चल रही जांच में ED ने पहले ही 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया है। जिनकी कीमत करीब 205 करोड़ 49 लाख रुपए है।