रविकांत सिंह राजपूत- कोरिया। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में दो दिवसीय साहित्य महोत्सव कोसम भाग दो का आयोजन किया गया। महोत्सव में देश- प्रदेश के कलाकारों ने अपनी प्रतुतियां प्रस्तुत की। इसके साथ ही कई महत्वपूर्व विषयों पर साहित्यकारों ने परिचर्चा भी की। कला, संगीत, साहित्य और मीडिया विषय पर चर्चा कोसम के मंच पर की गई। अभिव्यक्ति टीम के द्वारा साहित्य महोत्सव के आयोजन का दूसरा वर्ष था। 

कार्यक्रम के पहले दिन सरगुजा अंचल के कलमकारों का साझा काव्य संकलन कोसम भाग दो,गिरीश पंकज की संपूर्ण रचनावली, राजेश जैन की काव्यकृति और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आयुक्त श्याम धावड़े की शोध कृति पुरखती का विमोचन किया गया। इस अवसर पर गिरीश पंकज ने कहा कि वह भारत के विभिन्न प्रदेशों में साहित्य के आयोजनों में निरंतर सहभागिता करते हैं और कोसम का आयोजन उन राष्ट्रीय आयोजनों से किसी भी मामले में कमतर नहीं है। कोयलांचल क्षेत्र में इस आयोजन ने स्वमेव सभी साहित्य विधाओं का संगम रखते हुए जिस तरह से साहित्य की उन्नति के लिए कार्यक्रम संचालित किया है यह अपने आप में अनूठा है

विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा 

जिले में विकास की संभावनाओं का विषय लेकर परिचर्चा आयोजित की गई। जिले कलेक्टर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हमें प्रत्येक योजनाओं के क्रियान्वयन में संतृत्प अवस्था को पाने के लिए समेकित प्रयास करना होगा और यह कार्य जनसहयोग को लेकर करने का प्रयास किया जाएगा। पुलिस कप्तान परिहार ने कानून व्यवस्था और साइबर अपराध को रोकने के लिए सरलता से संदेश देते हुए कहा कि यदि आप लोभ का संवरण करते है, तो किसी भी तरह के साइबर अपराध की जड़ काटने में सक्षम होंगे। 

विभिन्न विषयों पर की गई चर्चा

युवा कलाकारों ने बांधा समा

युवा कवि सम्मेलन में पूरे प्रदेश के युवा साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से समा बांध दिया। उत्तर प्रदेश, बनारस से भी कई जाने- माने कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। ग्वालियर घराना के प्रतिनिधि युवा गायक राघवेन्द्र शर्मा ने अपनी टीम के साथ सुगम गायन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।  इसके अलावा शास्त्रीय नृत्यांगना उदिता चक्रवर्ती ने शानदार नाट्य प्रस्तुति दी ।

रामचरित मानस पर परिचर्चा की गई 

आयोजन में दूसरे दिन श्री रामचरित मानस पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इस दौरान पूर्व प्रोफेसर भागवत प्रसाद दुबे ने कहा कि हमारे जीवन का आधार ही भगवान श्री राम हैं। तुलसीदास की यह कालजयी रचना है जिसने प्रत्येक युग में भारतीय जीवनशैली को दिशा प्रदान की है। आलोचनाओं के परे हमें समाज को सुगठित करने के लिए रामचरित मानस का मार्गदर्शन लेने की अनुसरण करने की जरूरत है। इसके अलावा पूर्व कमिश्नर संजय अलंग ने छत्तीसगढ के इतिहास और इसकी भौगोलिक स्थिति पर गठन से लेकर अब तक के परिदृश्य पर अपनी जानकारी साझा करते हुए कहा की कोसम ने अपने दूसरे ही वर्ष आयोजन के स्तर को समृद्ध किया है। 

मीडिया विषय पर रखी गई परिचर्चा 

मीडिया और वेब मीडिया विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ पत्रकारों ने मीडिया की  सहभागिता, जिम्मेदारियों और चुनौतियों पर विस्तार से विचार रखे। इसके बाद रंगमंच के कलाकारों ने अपनी नाट्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में बेहतरीन ददरिया नृत्य प्रस्तुत किया गया। प्रदेश के कुल 72 साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।

साहित्यकारों को किया गया सम्मानित

इन्हें किया गया सम्मानित 

प्रदेशभर के अनेक साहित्यकारों, रचनाधर्मियों, युवा कलमकारों के साथ ही अन्य राज्यों के अनेक प्रतिभावान कलाकारों ने अपनी सहभागिता देकर कार्यक्रम को सफल बनाया। आयोजन के अंतिम सत्र में युवा साहित्यकार गौरव अग्रवाल को आरोही सम्मान, डॉ सुनीता मिश्रा को विदुषी सम्मान और आजीवन साहित्य सेवा के लिए मनेन्द्रगढ़ के सुपरिचित हस्ताक्षर बीरेन्द्र श्रीवास्तव को वागीश सम्मान प्रदान किया गया।