रायपुर। चंपालाल पटेल ने चुनाव लड़ने की शुरुआत अब से 37 साल पहले की थी। इस बार जब वे महासमुंद लोकसभा सीट से प्रत्याशी हैं। इससे पहले वे पांच बार लोकसभा, सात बार विधानसभा के लिए खल्लारी सीट से उतर चुके हैं। इसके अलावा जिला पंचायत का चुनाव लड़े, तीन बार सरपंच का चुनाव, अपने समाज के प्रदेश अध्यक्ष पद पर तीन बार, और समाज के जिला अध्यक्ष का चुनाव भी तीन बार लड़ चुके हैं।

नौकरी छोड़ी, मुफ्त  में पढ़ाते है ट्यूशन

चंपालाल जब चुनाव के मैदान में होते हैं तो उनके नाम के साथ धरतीपकड़ शब्द जुड़ा होता है, लेकिन सामान्य तौर पर वे अपने खल्लारी क्षेत्र में गुरुजी के नाम से पहचाने जाते हैं। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने हरिभूमि से कहा कि बीकॉम तक की पढ़ाई की है। पूर्व में वे पंचायत सचिव थे, लेकिन बाद में ये नौकरी छोड़ दी। इसके बाद से वे अपने गांव में ही बच्चों के मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाने का काम करते है। खुद के पास पांच एकड़ खेती की जमीन है। खेती-किसानी से परिवार चलता है। खास बात ये भी है कि खेती काम भी वे अकेले ही करते हैं।

पहली बार किसी पार्टी से प्रत्याशी

21 बार अलग-अलग चुनावों में बिना किसी दल का साथ लिए निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले चंपालाल पहली बार राइट टू रिकॉल पार्टी के बैनर पर मैदान में हैं। उनका ये दावा भी है कि लोकसभा क्षेत्र में एक लाख कार्यकर्ता तैयार कर चुके हैं। साथ ही ये दावा भी है कि महासमुंद से 11 लाख वोट पाकर जीतेंगे। उनका ये कहना भी है कि मतदाता मालिक है। चाहे तो वह मालिक बना सकता है या भिखारी।