रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में दुर्ग जिला कई कारणों से महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देखा जाए, तो ये बात एक बार फिर साबित होती दिख रही है। वजह ये है कि इस जिले से ही कांग्रेस और भाजपा के छह नेता प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा से प्रत्याशी बनाए गए हैं। दिलचस्प ये है कि इनमें से चार नेता दूसरे जिलों की लोकसभा सीटों पर मुकाबला करते दिख रहे हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें, तो यह पहला अवसर होगा जब एक जिले से इतनी संख्या में प्रत्याशी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशी बनाए गए हैं।
दुर्ग लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को प्रत्याशी बनाया है, वे पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, दुर्ग के ही रहने वाले हैं। उनके मुकाबले भाजपा से विजय बार इसी बघेल हैं, जो दूसरी बा सीट से प्रत्याशी बने हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव वे भारी मतों से जीते थे दुर्ग जिले की पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले दुर्ग जिले के प्रमुख नेताओं में से एक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव जिले की राजनांदगांव सीट से प्रत्याशी हैं। दुर्ग जिले की ग्रामीण विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू इस बार महासमुंद लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। दुर्ग जिले की भिलाई विधानसभा से विधायक देवेंद्र यादव को कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। दुर्ग जिले की निवासी और यहां से सांसद रह चुकी भाजपा नेत्री सरोज पांडेय को पार्टी ने कोरबा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। इस तरह अकेले दुर्ग जिले से ही कांग्रेस-भाजपा के टिकट पर छह प्रत्याशी लोकसभा के मैदान पर हैं।
पिछड़े वर्ग से पांच
दुर्ग जिले के जिन नेताओं को मैदान पर उतारा गया है, उनमें पांच पिछड़े वर्ग से हैं। पार्टियों ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए उनका चयन किया है। कुर्मी, साहू और यादव समाज से प्रत्याशी बनाए गाए हैं। उनके साथ सामान्य वर्ग की महिला प्रत्याशी सरोज पांडे कोरबा से लड़ रही हैं।
दुर्ग जिले का जातीय समीकरण
दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरणों को देखा जाए सबसे बड़ी आबादी साहू समाज की है। तीस से पैंतीस प्रतिशत वोटर इसी समाज से हैं। कुर्मी वोटर लगभग 22 प्रतिशत हैं. ऐसे में पंद्रह प्रतिशत यादव और सतनामी समाज मिलकर कई बार लोगों के अनुमानों को गलत साबित कर देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार कुर्मी समाज से थे। भाजपा के विजय बघेल और कांग्रेस से प्रतिमा चंद्राकर। चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी। कांग्रेस उम्मीदवार रही प्रतिमा चंद्राकर, चंदूलाल चंद्राकर के परिवार से हैं। उनके पिता दाऊ वासुदेव चंद्राकर विधायक थे। वे सहकारिता क्षेत्र का जाना माना चेहरा थे। छत्तीसगढ़ और खासकार अविभाजित दुर्ग जिले की कांग्रेसी राजनीति में उन्हें चाणक्य माना जाता था। वर्तमान दौर के नेता भूपेश बघेल से लेकर दुर्ग जिले के मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू को दाऊ वासुदेव का राजनीतिक शिष्य माना जाता है।
दुर्ग जिला राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण
छत्तीसगढ़ की राजनीति में दुर्ग जिला कई कारणों से महत्वपूर्ण रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग की पाटन विधानसभा सीट से जीतने वाले भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। इससे पहले देश की राजनीति में यह जिला दिवंगत राजनीतिज्ञ मोतीलाल वोरा के नाम से जाना जाता था। वे दुर्ग जिले में रहते हुए, विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, अविभाजित मप्र के मुख्य मंत्री भी बनने में सफल हुए। उस दौर में वासुदेव चंद्राकर कांग्रेस के चाणक्य माने जाते थे। छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता स्व. चंदूलाल चंद्राकर का इस क्षेत्र में काफी दबदबा था, जिससे वो इस क्षेत्र से पांच बार सांसद निर्वाचित हुए। यही नहीं, पिछली कांग्रेस सरकार में दुर्ग जिले से मुख्यमंत्री, गृहमंत्री व एक मंत्री सरकार में शामिल थे।