रायपुर। राजधानी में इस बार सिंदूर से तैयार की गई माता की प्रतिमा विराजित होगी। इस मूर्ति की खासियत यह है कि इसके निर्माण में सिर्फ सिंदूर का ही प्रयोग किया गया है। मिट्टी का प्रयोग इसमें नहीं हुआ है। पैरे और सिंदूर का प्रयोग कर इसे तैयार किया गया। मूर्ति तैयार होने के पश्चात इसमें दरारें नहीं पड़ें, इसलिए इस पर तेल का लेप लगाया गया। रायपुर के आमापारा में यह प्रतिमा विराजित होगी। 

समिति के अध्यक्ष और पार्षद दीपक जयसवाल ने बताया कि रायपुर में पहली बार अपने तरह की अनोखीप्रतिमा स्थापित की जा रही है। न्यू आजाद दुर्गोत्सव समिति द्वारा पिछले वर्ष कच्ची हल्दी से निर्मित माता की प्रतिमा स्थापित की गई थी। उत्सव का यह 47वां वर्ष है। मूर्तिकार सुरेश प्रजापति ने इसे तैयार किया है। 10 फीट ऊंची इस प्रतिमा के निर्माण में एक महीने से अधिक का समय लगा। समिति सदस्यों ने बताया कि पूजन सामग्री में प्रयुक्त होने वाली चीजों से ही प्रतिमा निर्माण का विचार आया। पिछले वर्ष इसके लिए हल्दी का प्रयोग किया गया था। इस बार सिंदूर को चुना।

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केमिकल रहित सिंदूर

बाजार में आजकर मिलावटी या फैंसी सिंदूर भी आने लगे हैं। शुद्धता और विसर्जन के बाद पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे, इस दृष्टिकोण से केमिकल रहित सिंदूर का प्रयोग किया गया है। रायपुर के बाजार से ही इसकी खरीदी की गई है। ना केवल मूर्ति बल्कि प्रतिमा के पीछे सजावट के लिए भी मौली धागे का प्रयोग किया गया है। माता का रूप मनमोहक बन पड़ा है। सिंह पर विराजित माता का भक्त आज से दर्शन कर सकेंगे।

घट स्थापना के लिए मात्र 50 मिनट

हस्त नक्षत्र और इंद्र योग के संयोग में शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो चुका है। 2 अक्टूबर को मध्यरात्रि पश्चात 12:18 मिनट से अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो गई है। इस तिथि का समापन 3 अक्टूबर को मध्यरात्रि पश्चात 2:58 पर होगा। उदया तिथि अनुसार गुरुवार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी। कलश स्थापना का मुहूर्त कन्या लग्न में सुबह 6 बजे से लेकर सुबह 7:05 तक है। वहीं, अभिजीत में मुहूर्त सुबह 11:31 से लेकर दोपहर 12:19 तक है। इस तरह से इस बार अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना के लिए मात्र 50 मिनट ही मिलेंगे। गुरुवार का दिन होने के कारण इस बार माता का आगमन पालकी में होगा। आज दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग दिन भर है। इसका समापन 4 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 24 मिनट पर होगा। इसके साथ ही आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर हस्त नक्षत्र का संयोग दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक है। इसके बाद चित्रा नक्षत्र का संयोग बनेगा।

चतुर्थी 6 और 7 अक्टूबर को

इस बार भक्तों को माता की आराधना के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे, लेकिन नवमी तिथि का क्षय होगा। इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने से यह तिथि दो दिन 6 और 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वहीं नवमी तिथि का क्षय होने पर महाअष्टमी और महानवमी का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा। इसके पश्चात 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा।

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झूमर की रोशनी से जगमगाएगा माता बम्लेश्वरी का मंदिर

डोंगरगढ़-राजनांदगांव।  नवरात्रि को लेकर देशभर की माता मंदिरों में विशेष सजावट की गई है। आकर्षक और भव्य रूप देने के लिए मंदिर समितियों ने काफी मेहनत की है। ऐसी ही तैयारी राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी के मंदिर में भी की गई है। नवरात्रि के अवसर पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को इस बार मंदिर में विशेष सजावट देखने को मिलेगी। समिति ने भिलाई के कारीगरों के जरिये मंदिर को फूलों से सजवाया है। वहीं बिलासपुर के तकनीशियन की मदद से आकर्षक हाईटेक लाइट्स भी लगवाई गई है। देश की राजधानी दिल्ली से भव्य झूमर मंगाकर भी मंदिर की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की प्रख्यात देवी मंदिरों में डोंगरगढ़ स्थित बम्लेश्वरी मंदिर शामिल है। 

विशेष पूजा-अर्चना होगी

मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार,  ऊपर मंदिर में 8500 एवं नीचे मंदिर में 901 ज्योति कलश रखी जा रही है। माता के दरबार के 9 दिन तक चलने वाले महाआयोजन के होने वाले अनुष्ठान के अनुरूप नीचे मंदिर में आचार्य राजकुमार महाराज एवं ऊपर मंदिर में आचार्य रघुनाथ महाराज की मुख्य उपस्थिति में बाहर से आए आचार्य एवं पंड़ितों द्वारा सप्तसती रणचंडी पाठ माताजी का विशेष अभिषेक, पंचमी, सप्तमी व अष्टमी हवन के अलावा पूरे पूजन का कार्यभार होगा।

लगेगा मेला, एक हजार कर्मी करेंगे सुरक्षा

नवरात्रि के अवसर पर डोंगरगढ़ में भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है। इन 9 दिनों में दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था पर भी काफी जोर दिया गया है। डोंगरगढ़ में 9 दिनों तक दिन-रात सुरक्षा रखने के लिए एक हजार पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही मंदिर में भी समिति के पांच सौ सदस्य अपनी सेवाएं देंगे।