- प्रत्यर्पण की प्रक्रिया 60 दिनों के भीतर पूरा करने का है नियम
- आग्रह पत्र अरबी लिपी में लिपिबद्ध किया गया है
रायपुर। महादेव सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के बाद दूसरे नंबर के प्रमोटर उप्पल जो पिछले एक महीने से ज्यादा समय से दुबई जेल में बंद है, उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया के लिए ईडी ने प्रयास तेज कर दिए हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत ईडी को शुक्रवार को अजय सिंह राजापूत की विशेष अदालत में बड़ी कामयाबी मिली है। ईडी की विशेष अदालत ने रवि को भारत लाने के लिए आग्रह पत्र जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि, महादेव सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल सहित अन्य के खिलाफ रायपुर, भिलाई, कोरबा सहित कई अन्य शहरों में ठगी सहित सट्टा संचालित करने का अपराध दर्ज है। इसके साथ ही उनके खिलाफ ईडी ने मनी लांड्रिंग, हवाला के जरिए पैसा ट्रांसफर करने के आरोप में अपराध दर्ज है। सौरभ तथा रवि के दुबई में होने की वजह से उनकी गिरफ्तारी के लिए ईडी तथा पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की मदद से रेड कार्नर नोटिस जारी कराया है।
60 दिनों के भीतर कोर्ट को संतुष्ट करना होगा
रवि उप्पल को भारत लाने दुबई स्थित भारतीय दूतावास को दुबई कोर्ट को रवि के खिलाफ भारतीय कानून के तहत जो चार्ज लगे हैं, उसकी जानकारी देते हुए दुबई कोर्ट को संतुष्ट करना होगा। इसके बाद रवि उप्पल के प्रत्यर्पण की कार्रवाई आगे बढ़ सकती है। सब कुछ ठीक रहा, तो रवि का दो से तीन महीने के भीतर प्रत्यर्पण संभव है। ईडी के वकील डॉ. सौरभ पाण्डेय के मुताबिक रवि उप्पल के प्रत्यर्पण
के लिए कोर्ट ने आवेदन स्वीकार कर लिया है।
मामूली धारा में दुबई जेल में बंद है
गौरतलब है कि रवि उप्पल को अपने खिलाफ रेड कार्नर नोटिस होने की जानकारी मिल गई थी। इसके बुबइति ने रेड कार्बर मेटिस तथा प्रत्यर्पण से बचने एक्ट कानून करने का अपराध किया। इसी दौरान दुबई पुलिस को रवि के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी होने की जानकारी मिली और दुबई स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से भारत सरकार को रवि के दुबई जेल में बंद होने की जानकारी मिली।
विदेश मंत्रालय को सौंपा जाएगा दस्तावेज
गौरतलब है रवि उप्पल के लिए प्रत्यर्पण के लिए जो जरूरी दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, उसमें एक कॉपी अरबी लिपि में लिपिबद्ध किया जा रहा है। ईडी, रवि उप्पल के प्रत्यर्पण से संबंधित विधिक अभिलेख को विदेश मंत्रालय को सौंपेगा। विदेश मंत्रालय इसे दुबई स्थित भारतीय उच्चायोग को सौंपेगा। भारतीय उच्चायोग उसे दुबई की सक्षम अदालत में पेश करेगा, जिसके बाद प्रत्यर्पण के लिए विधिक सहमति दुबई की अदालत देगी।