राहुल भोई - महासमुंद। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार टीबी की बीमारी से मुक्ति की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। अब इसके नतीजे भी सामने आने लगे हैं। महासमुन्द जिले की 292 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। इस उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने इन पंचायतों को 'टीबी मुक्त पंचायत' होने का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया है।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत महासमुंद जिले ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) द्वारा निर्धारित समय सीमा 2030 से पांच साल पहले हासिल करने का है। कलेक्टर प्रभात मलिक ने कहा है कि, यह सफलता सामुदायिक सहभागिता और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं के परिणामस्वरूप संभव हो सकी है।
टीबी से लड़ने में सबकी सहभागिता जरूरी
टीबी उन्मूलन के इस अभियान में जिले की स्वास्थ्य विभाग, पंचायत प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों और ग्रामीणों ने मिलकर मेहनत की है। नियमित जांच, समय पर उपचार और जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से टीबी के मामलों की पहचान और उपचार संभव हो सका। महासमुन्द जिले की इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि, उचित योजना, सामुदायिक समर्थन और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के माध्यम से टीबी जैसे गंभीर रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जिले के इस प्रयास से अन्य जिलों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे भी टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर होंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी ‘टीबी मुक्त पंचायत’ की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2023 को वाराणसी में आयोजित विश्व टीबी दिवस कार्यक्रम में टीबी मुक्त पंचायत की पहल की गई थी। जिसके अंतर्गत, महासमुन्द जिले के इन 292 ग्राम पंचायतों ने मान्य संकेतकों का मापन और सत्यापन कर टीबी उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त किया। इस उपलब्धि के परिणामस्वरूप, छत्तीसगढ़ राज्य में महासमुन्द जिले ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। टीबी मुक्त ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र जिला कलेक्टर प्रभात मलिक ने चयनित ग्राम पंचायतों को प्रदान किया जाएगा।
इस कामयाबी में इन चिकित्सकों की रही अहम भूमिका
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी. कुदेशिया ने कहा कि, इस कामयाबी में कलेक्टर प्रभात मलिक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एस. आलोक, सहित जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. विकास चन्द्राकर, और जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीलू धृतलहरे की भी भूमिका सराहनीय है।
‘स्वस्थ गांव’ की परिकल्पना को साकार करने हुई अभियान की शुरुआत
ग्राम पंचायतों के समग्र प्रयासों से ‘स्वस्थ गांव’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए टीबी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान में घर-घर जाकर टीबी की स्क्रींनिग की गई और 331 निक्षय मित्र के रूप में आम नागरिक, जनप्रतिनिधि अधिकारी और कर्मचारियों ने टीबी मरीजों की सहायता के लिए भागीदारी सुनिश्चित की थी। महत्वपूर्ण मील का पत्थर पर कलेक्टर प्रभात मलिक ने सभी संबंधित अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों, और ग्रामीणों को बधाई दी है।