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बेमेतरा जिले के शासकीय प्राथमिक शाला अकोला में मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। प्रधान पाठिका हिम कल्याणी ने बच्चों को मकर संक्रांति पर्व का महत्व बताया। 

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के शासकीय प्राथमिक शाला अकोला में मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। इस मौके पर शाला की प्रधान पाठिका हिम कल्याणी सिन्हा ने बच्चों को मकर संक्रांति के बारे में जानकारी दी। 

शाला की प्रधान पाठिका ने बताया कि, मकर संक्रांति हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन से दिन बड़ा और रात छोटे होने लगती है। यह पर्व हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति को फ़सल के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों मनाया जाता है। जैसे तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी आदि। 

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प्रधान पाठिका ने बच्चों को मकर संक्रांति की कथा सुनाई 

शाला की प्रधान पाठिका ने बताया कि, मकर संक्रांति त्यौहार से जुड़ी एक कथा भी बच्चों को बताई कि, जब पृथ्वी पर असुरों का आतंक काफी बढ़ गया था तब मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का संहार किया और सभी को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। कहते हैं भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। मकर संक्रांति का यह पावन पर्व भगवान सूर्य देव को समर्पित है और लोग स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिया प्रार्थना करते हैं। इस दिन गंगा स्नान, तिल का दान और पतंग उड़ाने की परम्परा है। यह त्यौहार खुशहाली, समृद्धि, और भाईचारे का प्रतीक है।  

बच्चों ने गाया गीत 

इस अवसर पर बच्चों ने माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना की। शिक्षिका हेमलता ठाकुर, शिक्षक हिरेश टंडन ने चार्ट पेपर से बच्चों को पतंग बनाना सिखाया है। बच्चों ने बहुत सुंदर बाल गीत की प्रस्तुति दी। तिल के लड्डू सभी बच्चों में बांटे गए और हर्षोल्लास के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाया। 

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