रविकांत सिंह राजपूत- मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ के कोरिया और मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी, भरतपुर जिले के विकासखंडों में आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों में अध्यक्षों की नियुक्ति पर पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे आदिवासियों के अधिकारों का हनन बताया है। 

पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने कहा कि, प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद आदिवासी हैं और सरगुजा संभाग से ही आते हैं। इसके बावजूद उन्हें आदिवासियों के हित की तनिक भी चिंता नही है। प्रदेश सरकार आदिवासियों के हितों की रक्षा करने की बजाय उनका शोषण कर रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण कोरिया एम सी बी में सहकारी समितियों में अध्यक्षो की नियुक्ति का मामला है। 

सरगुजा संभाग में लागू है 5 वीं अनुसूची 

पूर्व विधायक ने कहा कि, सरगुजा संभाग में 5वी अनुसूची लागू है। लेकिन संवैधानिक प्रावधानों को दरकिनार कर आदिवासियों की जगह गैर आदिवासियों की की नियुक्ति धडल्ले से की जा रही है। सहकारी समितियों में अध्यक्षों की नियुक्ति स्थानीय विधायक की अनुशंसा से होती है। वर्तमान विधायक खुद काल्पनिक सीएम दीदी हैं, जो कि खुद भी आदिवासी हैं। लेकिन उनके द्वारा आदिवासियों के हितों का ख्याल नही रखा गया जो कि सरासर गलत है। 

पूर्व सरकार में सभी अध्यक्ष थे आदिवासी 

उन्होंने आगे कहा कि, पूर्व की कांग्रेस सरकार में कोरिया और एमसीबी में सहकारी समिति के सभी अध्यक्ष आदिवासी थे। साथ ही सभी अध्यक्ष अपने समिति के पंजीकृत किसान भी थे, लेकिन वर्तमान में हुई नियुक्तियों में कई अध्यक्ष ऐसे भी हैं जो सम्बंधित सोसायटी के सदस्य एवं पंजीकृत किसान तक नही है। ऐसे में किस आधार पर नियुक्ति हुई यह जांच का विषय एवं बड़ा मामला है। 

बड़ा आंदोलन करने का किया ऐलान 

पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने पूरे मामले पर सरकार को घेरते हुए इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। साथ ही सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए आंदोलन किये जाने की करते हुए कहा कि, आदिवासियों के अधिकारों का किसी भी सूरत में हनन नही होने दिया जाएगा। सहकारी समिति अध्यक्षों की नियुक्ति के मामले को लेकर बड़ा आंदोलन किये जाने की बात कही है। 

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भाजपा मंडल अध्यक्षो को मिली है जिम्मेदारी

मिली जानकारी अनुसार, कोरिया और एमसीबी में अधिकांश समितियों में भाजपा के गैर आदिवासी मंडल अध्यक्षों को बतौर सहकारी समिति अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की गई है।