उमेश यादव-कोरबा। छत्तीसगढ़ कोरबा जिले के महापौर राजकिशोर प्रसाद को कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। चुनाव के समय उनके द्वारा प्रस्तुत किये गए जाति प्रमाण पत्र को कोर्ट ने शुन्य घोषित कर दिया गया है। जिसके बाद उनकी महापौर की कुर्सी छीन गई है। 

कोर्ट द्वारा जारी आदेश

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा जारी आदेश में उल्लेखित है कि, तहसीलदार कोरबा द्वारा पांच दिसंबर 2019 को अनुमोदित अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को प्रथम दृष्ट्या संदेहास्पद एवं कपट पूर्वक प्राप्त किया गया है। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अंतिम जांच होने तक उन्हें निलंबित निलंबित कर दिया गया है और उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जाये। जिसका निर्देश सक्षम अधिकारी को दिया गया है। उक्त आदेश के तहत राजकिशोर प्रसाद द्वारा अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को किसी भी प्रकार के हितलाभ के लिए उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

ओबीसी रिजर्व थी यह सीट 

उल्लेखनीय है कि, यह सीट ओबीसी रिजर्व थी जिसको लेकर यहां महापौर का चयन किया जाना था। लेकिन एक रसूखदार व्यक्ति का यसमैन होने की वजह से इन्हें महापौर बनाया गया था। जिसके बाद बीजेपी पार्षद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने इनके जाति प्रमाण को शून्य घोषित कर दिया। 

बीजेपी पार्षद ने कोर्ट में लगाई थी याचिका 

आपको बता दें कि, भाजपा नेत्री और पार्षद रितु चौरसिया ने उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर कोर्ट में लगाई याचिका थी। लगभग 4 वर्ष बीत जाने के बाद कोर्ट ने उनके जाति प्रमाण पत्र को शून्य घोषित कर दिया गया है। जिसके बाद अब उनकी महापौर की कुर्सी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं और उनकी कुर्सी छीन गई है।