रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव लोकसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल का कहना है कि भाजपा का 400 सीटें जीतने का दावा खोखला है, ये केवल नारा भर है। उनका कहना है कि पिछले चुनाव में भाजपा को जहां सीटें मिली थी उसे भी वह सहेज कर नहीं रख पा रही है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के संबंध में उन्होंने कहा कि इस सरकार में अनिर्णय की स्थिति है। पता नहीं चल रहा है किसकी चल रही है, किसकी नहीं? श्री बघेल ने यह बात हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के चुनावी सार्थक संवाद में कहीं। श्री बघेल से बातचीत के प्रमुख अंश-
▶आपने राजनांदगांव के संदर्भ में कहा- वहां के विधायकों कार्यकर्ताओं ने चाहा, पर लोग तो आपको दुर्ग में भी ढूंढ रहे थे, और आपसे प्रेम रखने वाले रायपुर में भी आपके संदर्भ में इच्छा जता रहे थे, रायपुर को भी छोड़ दिए, दुर्ग जो अपना इलाका है उसे भी छोड़ दिए और राजनांदगांव की ओर बढ़ चले। ऐसा राजनांदगांव में क्या है जो भूपेश जी को इतना आकर्षित कर गया।
▶ अभी राहुल जी की न्याय यात्रा के समय महासमुंद जाना हुआ तो वहां के साथियों ने भी कहा कि आप महासमुंद से लड़ लीजिए। चूंकि प्रस्ताव तो हुआ नहीं था, प्रस्ताव विधिवत रूप से राजनांदगांव से ही आया था। दुर्ग में हम लोगों ने पहले से ही राजेंद्र साहू का सोच लिया था, उन्होंने यहां मेरी अनुपस्थिति में भी चुनाव संचालन किया था। लगातार सक्रिय भी रहे बैंक के अध्यक्ष के रूप में। सभी तरफ से बात आई कि राजेंद्र साहू जी को मौका देना चाहिए। राजेंद्र साहू के लिए सभी कार्यकर्ताओं का मन बन गया था। वहां मैं टिकट मांगूं ये उचित नहीं था।
▶ विजय बघेल की बड़ी इच्छा थी कि भूपेश काका दुर्ग में चुनाव लड़ें। आपने अपने भतीजे की इच्छा का सम्मान नहीं किया।
▶ उसकी इच्छा का चार-चार बार सम्मान किया। तीन बार तो हार चुके हैं और कितने बार हारना चाहेंगे। उनकी किस्मत में हर चीज एक बार रहती है, एक बार नगर पालिका अध्यक्ष रहे, एक बार विधायक रहे और एक बार सासंद के रूप में उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। वो हर पद में एक-एक बार रहते हैं, उससे ज्यादा नहीं। इस समय भी कोई संभावना दिखती नहीं है।
▶ इतना सुनहरा अवसर होते हुए भी आप अपने आपको राजनांदगांव में झोंक दिए। जब आपको विजय बघेल का अतीत इतना बढ़िया दिख रहा था एक-एक बार का। सीधे कालीन बिछा हुआ था भूपेश बघेल जी के लिए तो भूपेश बघेल जी ने ये मौका क्यों छोड़ दिया।
▶ राजेंद्र साहू के लिए... हमने वासुदेव जी के यहां से राजनीति शुरू की तो सबसे जूनियर कोई स्टूडेंट था तो वह राजेंद्र साहू ही था। हम सबका प्यारा था, तो हम लोगों ने कहा कि राजेंद्र साहू ही आगे बढ़े।
▶ तो राजेंद्र साहू के प्यार के चक्कर में आपने ताम्रध्वज साहू को महासमुंद भिजवा दिया।
▶ताम्रध्वज साहू जी के बारे में कहें तो कोई भी सामान्य सीट पर वे लड़ सकते हैं। आपने देखा कि वे धमधा से भी विधायक रहे, बेमेतरा से विधायक रहे, दुर्ग ग्रामीण से भी विधायक रहे, तो कोई सीट छत्तीसगढ़ की उनके लिए अपरिचित नहीं है क्योंकि सामाजिक रूप से उन्होंने छत्तीसगढ़ के लिए जो काम किया है, उससे उनकी पहचान सभी जगह है।
▶ भूपेश जी एक बात बताएं.. ये लोकसभा चुनाव को किस रूप में देख रहे हो आप...? लड़ना है इसलिए लड़ रहे, जीतना है या नहीं। कांग्रेस के लिए संसदीय चुनाव कुल मिलाकर दिवास्वपन के अलावा कुछ रहता नहीं है। मतलब एक-दो सीट यही कांग्रेस की पहचान रह गई है। क्या कहते हैं इस बार।
▶ इस समय की परिस्थिति अलग है। अन्य समय में ये था कि राज्य में कांग्रेस को देना है, केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को देना है। इस प्रकार लोगों की भावना रही है लेकिन अभी जो विधानसभा चुनाव हुआ है और रिजल्ट आया है, उससे सब हतप्रभ हैं कि ऐसा नहीं होना था जो हुआ। लोगों को लगता था कि कांग्रेस की सरकार बनेगी, जो नहीं बनी। सारे सर्वे, लोगों का ओपिनियन देखें तो कांग्रेस की सरकार बन रही थी, लेकिन रिजल्ट दूसरा आया। इसलिए अभी यहां जो वातावरण बना है वो दूसरे प्रकार का वातावरण है कि ये गलत हुआ है। कांग्रेस को मौका मिलना था। इसका फायदा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिलने
जा रहा है।
▶ गलत कैसे हुआ... सरकार अगर भाजपा की बनी तो लोगों ने जैसे वोट दिए उसके कारण बनी। या वोट कुछ और दिया गया, सरकार कुछ और बन गई।
▶ लोगों का ऐसा भी मानना है। कितने लोग हैं जो कहते हैं कि हमने तो कांग्रेस को वोट दिया था, ये क्या हो गया। जो भाजपा के लोग हैं वो भी चाहते थे कि कांग्रेस की सरकार बने लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
▶ ऐसा क्या मैनेजमेंट किया था आपने कि भाजपा के लोग भी चाह रहे थे कि कांग्रेस की - सरकार बने।
▶सभी लोग लाभान्वित हुए थे, चाहे किसान हो... मजदूर हो, व्यापारी उद्योगपति हो सभी वर्ग के लोग लाभान्वित हुए थे। कोई वर्ग ऐसा नहीं था जो लाभान्वित व हुआ हो।
▶ लोक सभा में आप किस उम्मीद से कांग्रेस की जीत की उम्मीद कर रहे हैं।
▶ जनता सबसे ताकतवर है, अगर उन्हें यह महसूस हो गया कि पिछला चुनाव गलत हो गया है तो निश्चित रूप से पूरी ताकत के साथ उसे ठीक करने में लग जाएंगे।
▶ आपकी बात में थोड़ा विरोधाभास है। आप बोल रहे है पिछली बार भी जनता ने हमें वोट दिया, पता नहीं वोट कहां गया।
▶ बात अगर कहेंगे तो चुनाव हार गए हैं इसलिए बोल रहे हैं, तो बात ये आएगी कि पिछली समय तो जीत गए थे, खेल तो ईवीएम में हुआ और ये बात लगातार हो रही कि ईवीएम का खेल। लेकिन हम लोग बोले नहीं थे, पहली बार आप इतना कुरेद रहे हैं...। तो में बोल रहा हूं इसमें निश्चित रूप से ईवीएम का बड़ा रोल रहा है। इसके कारण रिजल्ट अप्रत्याशित आया है।
▶ ईवीएम का खेल करने में जब इतनी माहिर है तो 2018 में भूपेश बघेल एकतरफा बीजेपी को कैसे साफ कर दिया।
▶ मैं तो वही सवाल पहले ही बोल बि कि आप ऐसा ही बोलोगे। मैं पहले भी इ के खिलाफ बोलता रहा हूं और जब भ मौका मिला तो मैंने ईवीएम की जगह पेपर को चुना। जब 2019 में नगरीय चुनाव हुआ तो मैंने ईवीएम से नहीं कराय बैलेट पेपर से करवाया। मुझे विश्वास ह है ईवीएम पर। दूसरी बात ये है कि इलेक्शन में ईवीएम का खेल नहीं होता। जगह करना होता तो कर लेते, किसी नहीं करना होता तो नहीं करते हैं। इस स हर हालत में छत्तीसगढ़ चाहिए। किन परिस्थिति में छत्तीसगढ़ चाहिए ये स्थि ईवीएम में खेल होता भी है तो पांच पर
दस परसेंट तक इससे ज्यादा नहीं।
▶ लोकसभा चुनाव के संदर्भ में क्या कर रहे हैं।
▶ लोकसभा हम जीतेंगे अच्छे वा जीतेंगे और देश में भी अच्छी स्थिति भाजपा के 400 पार के दावे खोखले हैं। इ भी खोखले नजर आते हैं कि आप ताकतवर हैं तो आप महाराष्ट्र में जो वि जो बिहार में किए हैं और तो और अपने हरियाणा में जो किए हैं, कल की बा आपने जो खेल किए हैं उससे समझ कि 400 पार का दावा केवल नारा अंदरूनी स्थिति, जमीनी स्थिति दूसरी है।
▶ अगर अंदरूनी स्थिति जमीनी स्थिति दूसरी है तो कांग्रेसी कतार में लगकर भाजपा में प्रवेश के लिए इंतजार में क्यों खड़े रहते हैं।
▶ कतार लगने की बात नहीं है, जो गए हैं उनसे में नहीं, और लोगों ने बात की है, आखिर ईडी आईटी है किसलिए।
▶ क्या भूपेश बघेल इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि कांग्रेस इस समय कठिन परिस्थिति सेगुजर रही है। इंडिया गठबंधन के जो आपके सहयोगी हैं कह रहे है कि कांग्रेस की 40 सीटें भी आ जाए तो बहुत बड़ी बात है। भाजपा 400 का दावा कर रही है और आपके बगल में बैठने वाले (ममता बैनर्जी) 40 की बात कह रहे हैं इस विरोधाभास के संदर्भ में आपकी दृष्टि क्या है।
▶ ममता बैनर्जी के बयान का उल्लेख आपने किया है। उनका यह बयान मेरे ध्यान में नहीं है लेकिन आप ये कहें कि केवल 40 सीटें आएगी ये अतिश्योक्ति वाली बात है। अब परिस्थिति बदली है, चाहे बिहार की बात हो या यूपी की, चाहे राजस्थान, मप्र, छत्तीसगढ़ की बात हो। गुजरात में अभी भी वो दलबदल करवा रहे हैं। उनको गुजरात में भी डर लग रहा है महाराष्ट्र में भी वो परिस्थिति नहीं है। अभी परिस्थिति है भारतीय जनता पार्टी जिन राज्यों में सीट लेकर आई थी वहां से भी उनका जनाधार खिसकता नजर आ रहा है। वो तो ओडिशा में भी समझौता करने के मूड में है। आंध्र प्रदेश में भी समझौता करने के मूड में है, तेलंगाना में भी, इसका मतलब ये है कि आपका जनाधार कर्नाटक से भी खिसक रहा है।आपका जनाधार यूपी और बिहार से भी खिसक रहा है। आपका जनाधार गुजरात और हिमाचल प्रदेश, हरियाणा से भी। आपको जितनी सीट मिली थी उसे भी सहज कर रख पाएंगे या नहीं। ये स्थिति बन रही है। दूसरी बात ये कि टिकट वितरण हुआ है, लेकिन उनके केंडिडेट कहते है हम लड़ेंगे नहीं, टिकट वापस कर दिया। उसके पहले गौतम गंभीर की बात करें, जयंत सिन्हा ने कहा हम चुनाव नहीं लड़ेंगे। डॉ. हर्षवर्धन कहते हैं कि हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं दूसरा काम करना चाहते हैं। कोई क्रिकेट का बोल रहा है तो कोई अर्थशास्र की बात कर रहा है। कोई मेडिकल साइंस की बात कर रहा है।
▶ भूपेश जी केवल भाजपा के नेताओं के बयान देख रहे हैं, कांग्रेस के नेताओं के बयान भी हैं कि हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं।
▶ अभी कौन कांग्रेस का नेता है तो कहता है चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। यहां तो लाइन लगी है।
▶ छत्तीसगढ़ में आप पांच साल मुख्यमंत्री रहे। अब बदली हुई परिस्थिति में भाजपा सरकार है, नया नेतृत्व है भाजपा का, पूरा पीढ़ीगत परिवर्तन दिखाई देता है। पिछले तीन महीने का जो समय है उसने आप की राह को कितना कठिन या कितना आसान कर दिया लोकसभा चुनाव के संदर्भ में
▶ सरकार की बात है तो में देख ही रहा हूं। मैंने पहले की कहा था कि सरकार की आलोचना नहीं करूंगा। अब चुनाव है तो जा रहे हैं तो लोग पूछते हैं तो कहना पड़ता है। हाउस में भी मैंने देखा मुख्यमंत्री अपने विभाग के प्रश्नों का उत्तर भी नहीं दे रहे हैं। उनके विभागों का उत्तर कोई मंत्री दे रहा है ये पहली बार देखने को मिला है। अनिर्णय की स्थिति है, कौन सरकार में, किसकी चलती है अभी कोई समझ नहीं पा रहा है। ये स्थिति सरकार की है। दूसरी बात ये है कि सरकार के पास ले-दे के महतारी वंदन योजना, उसके बाद बकाया बोनस जिस समय सूखा पड़ा था उस समय का दिया। महतारी वंदन योजना में अभी भी गंडई गया था, लोग बता रहे हैं कि किसी के खाते में दो रुपया किसी के तीन तो किसी के खाते में पांच रूपया आया है। अभी भी बहुत से लोगों के खाते में पैसा पंहुचा ही नहीं है महतारी वंदन का।
▶ जब पार्टी के तमाम बड़े नेता जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं, चुनाव में अपने आप को दांए-बाएं करने में सफल हो गए, ऐसे में भूपेश बघेल कैसे फंस गए...
▶ यहां तो फंसने का सवाल नहीं उठता। पहली बात तो ये है कि हाईकमान की इच्छा क्या है, दूसरा कार्यकर्ताओं की डिमांड क्या है। राजनांदगांव के हमारे प्रत्याशी रहे, विधायक पार्टी कार्यकर्ता सबने कहा कि भूपेश बघेल को टिकट दिया जाए। ये प्रस्ताव उनकी तरफ से था। हाईकमान से भी मैंने ये कहा आप तय कर लें, मुझे प्रचार करना है या चुनाव लड़ना है। उन्होंने टिकट घोषित कर दिया। अब चुनाव मैदान में हैं।
▶ जानने में दिलचस्पी ये है कि दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अशोक गहलोत ये तमाम लोग दाएं-बाएं हो गए, भूपेश जी को लोग कुशल राजनीतिज्ञ मानते हैं। ऐसे माहौल में भूपेश बघेल चुनाव लड़ते हुए दिख रहे हैं?
▶ जहां तक दिग्विजय सिंह की बात है, वे राज्य सभा सदस्य हैं। कमलनाथ जी दिल्ली छोड़कर मप्र आ गए हैं और उनके लड़के सासंद हैं। ऐसे में उनका चुनाव लड़ने का कोई तुक दिखता नहीं है। छिंदवाड़ा से नुकल नाथ सासंद हैं। अशोक गहलोत के पुत्र वैभव पिछले समय चुनाव लड़े थे और जीत नहीं पाए थे। इस समय भी उन्होंने अनिच्छा जाहिर की थी।
▶ कमलनाथ जी के लिए आपने कहा कि वे दिल्ली छोड़कर मप्र आ गए... तो क्या भूपेश जी का छत्तीसगढ़ से दिल भर गया जो दिल्ली की तरफ रूख कर रहे हैं।
▶ नहीं, मन भरने की बात नहीं, वहां भी रहेंगे तो मन छत्तीसगढ़ में रहेगा। जहां भी रहेंगे छत्तीसगढ़ के संबंध में आवाज बुलंद होना है।