रायपुर। एनआरआई कोटे में धांधली की खबर से हड़कंप मचा हुआ है। हरिभूमि की खबर के बाद सरकार ने एनआरआई कोटे को लेकर गंभीर मंथन किया है। प्रारंभिक तौर पर माना गया है कि एनआरआई सर्टिफिकेट में धांधली होती है। उसके लिए नए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तब तक चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बुधवार को होने वाला मॉपअप राउंड स्थगित कर दिया है। इस राउंट में सीट अलॉटमेंट होना था। इसमें एनआरआई की दस सीटें थीं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम विहारी जायसवाल ने हरिभूमि से कहा-हम महाधिवक्ता से कानूनी राय ले रहे हैं। उसके बाद नए नियम बनाए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि राज्य के पांच निजी मेडिकल कॉलेजों में अभी एनआर आई कोटे की दस सीट शेष हैं जिसमें प्रवेश के लिए संशोधित नियम का पालन किए जाने के आसार हैं। इसके साथ ही आने वाले दिनों में एमडी- एमएस कोटे से होने वाले एडमिशन में भी संशोधित नियम लागू की जाएगी। माना जा रहा है कि अप्रवासी भारतीय सीट के लिए जारी होने वाले सर्टिफिकेट के केंद्रीय स्तर पर नियम बनाया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा मॉपअप राउंड के पुराने शेड्यूल के अनुसार मंगलवार को कुल 73 सीटों का अलॉटमेंट लिस्ट जारी किया जाना था जिसे आगामी तिथि तक स्थगित किया है। जल्दी ही एनआरआई कोटे से प्रवेश के लिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए नियम तैयार कर गजट नोटिफिकेशन किया जाएगा और उसका पालन करते हुए एडमिशन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 

डॉ. गुप्ता की चेतावनी-सख्त कार्रवाई नहीं तो प्रदर्शन करेंगे

इस मामले में कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता द्वारा चेतावनी दी गई है कि नियम नहीं बदलने पर आने वाले दिनों में छात्रों और पालकों के साथ विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि एनआरआई कोटे के नाम पर फ्राड होता है, इसे बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआर आई सर्टिफिकेट में जमकर गड़बड़ी हुई है। जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो नहीं तो विरोध किया जाएगा।

सर्टिफिकेट की हो सकती है जांच 

काउंसिलिंग के दो राउंड के दौरान जिन विद्यार्थियों का एडमिशन एनआरआई कोटे से एडमिशन लेने वाले छात्रों के दस्तावेज जांच के दायरे में आ सकते है। सूत्रों का कहना है स्कूटनी के दौरान इन छात्रों द्वारा अप्रवासी भारतीय होने का जो प्रमाण पत्र दिया गया है वह तहसीलदार अथवा उससे समकक्ष अधिकारियों द्वारा जारी किया जाता है। नियम में संशोधन के साथ होने वाले गजट नोटिफिकेशन के बाद इस सर्टिफिकेट की जांच संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा कराई जा सकती है। कुछ साल पहले ईडब्लूएस कोटे के प्रमाणपत्र के लिए यह प्रक्रिया अपनाई गई थी। स्थानीय छात्रों को राज्य कोटे की सीट: इस बीच एम्स के एमबीबीएस के विद्यार्थियों को राज्य कोटे की सीट के आवंटन की मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत पर चिकित्सा शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। इस नियम में भी संशोधन कर स्थानीय मेडिकल कालेज के छात्रों को ही पीजी सीट का अलॉटमेंट जारी करने का नियम लागू करने की तैयारी की जा रही है।

1.14 करोड़ में बिक रही सीटें

माना, नाना, फूफा जैसे रिश्तेदारों के विदेश में रहने के आधार पर बनाए गए सर्टिफिकेट के माध्यम से प्रदेश के एक निजी मेडिकल कालेज में 1.14 करोड़ शुल्क के आधार पर एडमिशन लिए जाने खबर है। पेमेंट सीट पर करीब 45 लाख रुपए में एमबीबीएस होती है। लेकिन एनआरआई के नाम एक करोड़ रुपए से अधिक वसूले जा रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की धांधली पिछले कई सालों से जारी है। सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में निर्देश आने के बाद लोगों का ध्यान इस तरफ गया है।