सूरज सिन्हा/बेमेतरा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 4 साल पूरे होने पर प्राथमिक शाला साल्हेपुर विकासखंड बेरला में शिक्षा सप्ताह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। स्कूली शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के जारी निर्देश पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह आदेश 22 जुलाई को जारी किया गया था।
बता दें, शिक्षा सप्ताह के पहले दिवस में TLM (Teaching Learning Material) के जरिए शाला में स्थानीय सामग्री और उनके उपयोग के लिए स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित किया गया। इसमें स्थानीय भाषा में वर्णमाला, चार्ट, वार्तालाप करने की सामाग्री तैयार करना, बड़े बुजुर्गों से स्थानीय कहानियों आदि के माध्यम से बच्चों में पढ़ाना शामिल है।
खिलौना कॉर्नर तैयार किया गया
शिक्षा सप्ताह के द्वितीय दिवस पर शाला में खिलौना कॉर्नर तैयार करके छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों के प्रति बच्चों को जागरूक कराया गया। खिलौना कॉर्नर कार्यक्रम का शुभारंभ ग्राम के सरपंच प्रकाश गायकवाड़ ने किया है। शाला के शिक्षकों ने बच्चों को अलग-अलग समूह में बैठाकर स्कूली भाषा और गणित सिखाने की व्यवस्था की है। स्कूल में बच्चों के माता-पिता को घर के ही सामग्री से बच्चों को ज्ञान सिखाने के लिए प्रेरित किया गया। शिक्षा सप्ताह के तृतीय दिवस को खेल दिवस के रूप में मनाया गया। जिनका नाम खेलगड़िया रखा गया है।
स्थानीय खेलों के महत्व बताए गए
स्कूली बच्चों को खेलों का जीवन में महत्व को बताया गया। बच्चों से कहा गया कि, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। फिट रहने के लिए योग और खेल से बढ़कर और कोई संसाधन नहीं है। बच्चों में मोबाइल से दूर रहकर छत्तीसगढ़ के स्थानीय खेलों के महत्व को बताया गया है। साथ ही बच्चों को छत्तीसगढ़ी खेल खिलाकर जागरूक किया गया है।
सांस्कृतिक दिवस के रूप में मनाया गया
इस कार्यक्रम में गांव के बच्चों की माता-पिता और बुजुर्ग भी स्थानीय खेल का हिस्सा बने। खेल खेलने से पहले स्थानीय ग्रामीण, माताओं, बुजुर्गों और बच्चों को योग कराया गया है। इसके बाद जीवन में योग्य बनने का महत्व बताया गया। शिक्षा सप्ताह के चौथे दिन सांस्कृतिक दिवस के रूप में मनाया गया। सांस्कृतिक दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बेरला के सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी नारायण ठाकुर उपस्थित थे।
नारायण ठाकुर ने शाला का किया निरीक्षण
नारायण ठाकुर ने शाला का निरीक्षण किया और बच्चों के शैक्षणिक स्तर की जांच की। नारायण ठाकुर ने बच्चों और ग्रामीणों से उद्बोधन में कहा कि, आजकल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दौर है। इसलिए हम अपनी संस्कृति और परंपराओं से बहुत तेजी से दूर होते जा रहे हैं। मीडिया के माध्यम से देश-विदेश की संस्कृतियों ने हमारी प्राचीन परंपराओं को दूर कर दिया है। बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपराओं का सही ज्ञान नहीं है। लेकिन अब हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि, बच्चों को अपनी स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराया जाए।
शिक्षक डागेंद्र निषाद और प्रदीप ठाकुर हुए शामिल
शाला साल्हेपुर के शिक्षक डागेंद्र निषाद, प्रदीप ठाकुर और प्रधान पाठिका के अम्बालिका पटेल के कुशल नेतृत्व में मार्गदर्शन दिया जा रहा है। शिक्षा सप्ताह का चौथा दिन शाला में समुदाय से जोड़ने का महत्वपूर्ण दिन था। इस दिन साल्हेपुर गांव के मितानिन ने अपने जन्मदिन पर शाला में एक पंखा दान किया, बच्चों को पेंसिल और रबर दिए गए।
बच्चों को न्यौता भोज कराया
शाला परिसर में एक पेड़ का रोपण किया गया और बच्चों को न्यौता भोज कराया गया। शिक्षा सप्ताह के पांचवे दिवस बच्चों को लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल चलाने के तरीके और उनसे होने वाले लाभ और नुकसान के बारे में विस्तार से बताया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में ग्राम के सरपंच प्रकाश गायकवाड़, ग्राम पटेल उत्तम गुप्ता, एसएमसी अध्यक्ष संतोष कुमार गुप्ता, संकुल समन्वयक कुशल कुंजाम, पालक शैलेन्द्र कुर्रे, नीलू गुप्ता, येवन यादव, पवन यादव, प्रमोद गुप्ता, मितानिन दीदी संगीता गायकवाड़, लक्ष्मी, संध्या, देवकी, कुंती, दुलारी बाई एवं साल्हेपुर के ग्रामीणों का विशेष सहयोग रहा।