रायपुर। कांकेर लोकसभा के सांसद रहे भाजपा नेता मोहन मंडावी उनमें शुमार हैं जिन्हें भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दिया है। श्री मंडावी सादगी और सरलता से पार्टी का आदेश मानने की बात कहते हैं। हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, पता नहीं मेरी टिकट क्यों कट गई। कर्म में क्या कमी रह गई। यहां तक प्रदेशाध्यक्ष किरण देव से मेरी बात हुई । उन्होंने कहा था कि, आपके कर्म ही आपको टिकिट पक्की करेंगे।
उन्होंने कहा था कि,धर्मांतरण होता वहां वे रामायण बांटते थे। जहां रामायण का विरोध होता था, वहां वे रामायण पाठ करने जाते थे, यही उनकी गलती थी। उनसे हुए बातचीत के चुनिंदा अंश।
►आपको टिकट नहीं मिली। इस फैसले को मोहन मंडावी कैसे देख रहे है?
► लोकसभा में मेरी शत प्रतिशत उपस्थिति रही है। क्षेत्र में विकास के काम भी करवाए हैं। क्षेत्र में सतत दौरा चलता रहता था। जहां भी धर्मांतरण होता था, वहां रामायण बांटता था। अब तक 51 हजार रामायण बांट चुका हूं। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड भी मिला है। मै जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आदिवासी समाज के पदों पर रहा हूं। पीएससी मेंबर रहा। हूं कभी दाग नहीं लगा। मेरा लंबा चौड़ा परिवार है। नारायणपुर जिला कांकेर जिला कोडागांव जिला बालोद जिला, जहां भी मुझे सूचना मिलती थी, रामायण कराने जाता था। जहां रामायण का विरोध होता था वहां जाकर रामायण करता था, यही गलती थी मेरी।
► बस्तर में 16 विधानसभा है, दोनों संसदीय क्षेत्र मिलाकर, अब तो आपके पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी बस्तर से हैं, उनसे बात नही किए क्या, कि पांच साल इतना पसीना बहाया फिर भी टिकट दूसरे को मिला ऐसा क्यों किया मेरे साथ?
▶ उपर वाले सब देखते हैं, पेपर में आ रहा था, मैंने 19 करोड़ अस्पताल के लिए दिवलाया, मेडिकल कॉलेज करवाया, फ्री डायलिसि करवाया, अटल एकलव्य करवाया। सबसे ज्यादा सड़कें प्रधानमंत्री सड़क योजना से बनीं, और अंतागढ़ से कोड़ागांव रेललाइन भी बनीं। धमतरी से नगरी होते रेल लाइन स्वीकृत कराया। दल्ली राजहरा में प्रोसेसिंग प्लांट लोगों के रोजगार के लिए बनवाया। दो सौ करोड़ का प्रोसेसिंग प्लांट शुरू हो गया है, रेडियो एफएम करवाया। रेलवे में कई करोड़ के काम बालोद, भानुप्रतापपुर में स्वीकृत कराया। मैं क्षेत्र में हर सुख दुख के काम में गया। कई संस्थाओं से जुड़ा हूं।
▶आपने इतना सब कुछ कराया फिर भी आपने टिकट नहीं पाया। पर वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष आपके बस्तर से हैं, किसने आपको बताया या टीवी पर सूची चली तो आपको पता लगा कि टिकट नहीं मिली। मुख्यमंत्री से बात की क्या?
▶ प्रदेश अध्यक्ष से मेरी बात हुई, मेरे करीबी रहे हैं, मैं जब बस्तर संभाग का महामंत्री था, तब से किरण भाई से मेरा संबंध है, उन्होंने कहा था, आपका कर्म ही आपको टिकट दिलाएगा, मेरी कर्म में कहां कमी रही उसको तो नहीं कह सकता।
▶ जब आपने इतना अच्छा काम किया तो आपके क्षेत्र की 8 में से 5 विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस कैसे जीत गई। क्या आपको नहीं लगता कि विधानसभा - चुनाव का परिणाम आपको परेशान कर गया।
▶ टिकट मैं नहीं बांटता, और न प्रत्याशी को - जिताने की जिम्मेदारी अकेले सांसद की नहीं होती है। पूर्ण संपूर्ण जिम्मेदारी होती है। कैसे हारे इसके बारे में तो कार्यकर्ता ही बता सकते हैं।
▶ आपको लगता है कि क्या आठ सीटों पर जो टिकट बांटे गए थे, वे ठीक नहीं बांटे गए थे,
▶ टिकट कैसे बंटा पता नहीं, यह सब गोपनीय रहता है, जब टिकट डिक्लेयर हुआ तब पता लगा। मेरे कार्यकाल में दो कार्यकाल से लगातार सफाया होता जा रहा है, लेकिन मैं अपने लोकसभा में मैं वहां जीता हूं, ढाई लाख के गढ़ढे को पाटा हूं। उसमें पांच विधानसभा में मेरी बढ़त रही है।
▶ अब जो लोकसभा होने जा रहा है उसे कैसे देख रहे हैं, कैसा रहेगा लोकसभा चुनाव ► 11 के 11 लोकसभा जीतेंगे।
▶ ऐसा क्या कर दिया है कि 11 के 11 जीतेंगे। ► माननीय प्रधानमंत्री ने इतना काम किया है, इसलिए जीतेंगे।
▶ आपके यहां सर्व आदिवासी समाज जो सक्रिय है, वो आपकी मदद करेगा, कांग्रेस की करेगा किसकी करेगा।
► सर्व आदिवासी समाज राजनीति पार्टी से नहीं है। वो किसका समर्थन करेंगे मैं नहीं कह सकता। जितना व्यक्तित्व अच्छा हो, जो धर्मांतरण के खिलाफ काम कर सके, विकास कर सके।
►आपकी पार्टी ने भोजराज नाग को प्रत्याशी घोषित किया है, वे कैसे प्रत्याशी हैं।
► भोजराज सरल स्वभाव के हैं, हम लोग उन्हें भगत कहते हैं, साधु-सन्यासी टाइप के हैं वो क्षेत्र में बैगा के रूप में प्रसिद्ध हैं।
►कांकेर को बैगा की जरूरत है, या मोहन मंडावी जैसे शिक्षाविद की जरूरत है।
▶ पता नहीं, अब बैगा की ज्याजा जरूरत पड़ेगी। बीमार ज्यादा हो रहे हैं, तो उसके हिसाब से।
▶ विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री हैं, चुनाव से पहले डॉ.रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनेंगे। रमन सिंह की जगह विष्णुदेव साय बनाना पार्टी का कैसा निर्णय है।
▶ ये बहुत उत्कृष्ठ निर्णय है। पहली बार, हम को पार्टी प्रधानमंत्री मोदी जी, राष्ट्रीय अध्यक्ष को धन्यवाद देते हैं, पहली बार किसी आदिवासी को यह मौका मिला है। दूसरी पार्टी होती तो आदिवासी को कभी मौका नहीं मिलता। अभी आप देखिए हमारे मंत्रिमंडल में शोषित पीड़ित परिवार के लोगों को मंत्री बनाया गया है।
▶ अब आगे क्या करेंगे।
▶ पार्टी जो जिम्मेदारी देगी वो काम करेंगे।
▶फिर जाके चूक कहां हुई, ये जानने में बड़ी दिलचस्पी है। किसको साथ नहीं पाए आप, दिल्ली में पार्टि के नेता बैठे हैं उन्हें या प्रदेश में जो नेता बैठे हैं उनसे नहीं बनी आपकी। कौन आपको निपटा दिया।
▶ पता नहीं, किसने निपटाया। हमारा भाव निर्मल है। मेरे परिवार से कांग्रेस के छह-छह विधायक हुए। मेरे बुआ के परिवार से विधायक हुए, मेरे इतने बड़े परिवार में मुझे पहली बार भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ने का मौका मिला। मेरे सगे भतीजे के खिलाफ लडा, ढाई लाख के गड्डा को पाटकर कार्यकर्ताओं की मदद से चुनाव जीता। और अकेला बस्तर से अकेला विधायक रहा। बस्तर भी हार गए थे। अब मेरा काम रामायण और क्षेत्र के विकास में रहा। मैं दिल्ली से फ्लाईट से आकर सीधे क्षेत्र में जाता था। और जब दिल्ली जाना होता था तो में चार पांच कार्यक्रम निपटा कर मैं दिल्ली जाता था। पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी मैं उसे अपने हिसाब से करता था, कहां गलती हुई उसे मैं नहीं कह सकता।
▶ धर्मांतरण बड़ा विषय रहा है यहां कांग्रेस सरकार में, क्या उसके खिलाफ लड़ाई नहीं लड़े क्या, क्या धर्मांतरण के मसले पर मौन रहे आप?
▶ मैंने जैसा बताया, जहां धर्मातरण होता था, वहां रामायण बांटता रहा हूं, अब तो यह संख्या दो हजार हो गया है। तुलसी मानस प्रतिष्ठान का प्रदेश अध्यक्ष हुआ, गांव-गांव में कई हजार मानस मंडली का गठन करवाया। धर्मांतरण के खिलाफ लंबी लड़ाई।