संजय यादव - कवर्धा । स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। कवर्धा जिले में मलेरिया से निपटने के लिए 2022 के बाद से एक भी मच्छरदानी वितरण नहीं किया गया है। इधर जिले के वनांचल क्षेत्र के कई गांवों में मलेरिया के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शासन से लगभग 96 हजार से अधिक मच्छरदानी की मांग की है। इससे मलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

कवर्धा जिले का अधिकांश हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है,जहां विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं। सरकार भले ही इस विशेष समुदाय के लोगों के लिए विशेष प्रयास कर रही है, लेकिन सबसे जरूरी स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार करने की आवश्यकता है। बरसात के दिनों में कुछ चिन्हांकित क्षेत्र है, जहाँ हर साल मौसमी बीमारियों के साथ-साथ मलेरिया के केस मामले सामने आते हैं।‌ इसके बावजूद जिले में साल 2022 के बाद से अब तक मच्छरदानी वितरण नहीं हुआ है। स्वस्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। कुछ एरिया में मच्छरों की वजह से मलेरिया पनपते हैं। 

 मच्छरदानी वितरण नहीं किए करेंगे तो उग्र आंदोलन

सीएमएचओ डॉ बीएल राज ने कहा कि, जिले में लगभग 96 हजार मच्छरदानी की आवश्यकता है। आंकड़ों पर गौर करें, तो बीते वर्ष 400 से अधिक मलेरिया के केस सामने आए थे। इस वर्ष अब तक 200 से अधिक मलेरिया के मरीज मिल चुके हैं। वहीं इस मामले को लेकर पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष नीलू चन्द्रवंशी ने कहा कि, समय रहते वनांचल क्षेत्र में मच्छरदानी वितरण नही किया तो मौसमी बीमारी अपना पैर पसारता नजर आएगा। जल्द ही मच्छरदानी वितरण नहीं किए, तो उग्र आंदोलन करेंगे।