जीवानंद हलधर/जगदलपुर- छत्तीसगढ़ के जगदलपुर नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव और बजट की चर्चा को लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई थी। इधर, चौक-चौराहा में भी नगर निगम में अध्यक्ष के खिलाफ लाये जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर आखिर क्या होगा, इसपर चर्चा की जा रही थी। क्योंकि विपक्ष लगातार दावा कर रहा था कि, उनके साथ कई कांग्रेसी पार्षद हैं। लेकिन मामला तब बिगड़ गया जब नगर निगम की चर्चा में एक भी कांग्रेसी पार्षद ने भाग नहीं लिया, जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव और बजट पर चर्चा फेल हो गई। 

भाजपा के 19 पार्षद पहुंचे 

जिला कलेक्टर ने निगम में वोटिंग की प्रकिया का समय निर्धारित किया था और भाजपा के 19 पार्षद निगम में पहुंच गए थे। काफी देर तक इंतजार करने के बाद अविश्वास प्रस्ताव गिरा दिया गया और भजापा के पार्षदों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया। वहीं निगम नेताप्रतिपक्ष ने कांग्रेस की निगम सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, कंग्रेसीयों को अपने पार्षदों पर विश्वास नहीं था। इसलिए वे डर के मारे भाग खड़े हुए हैं। 

कंग्रेसी पार्षदों ने भागना उचित समझा

महापौर और अध्यक्ष के खिलाफ उनके कई पार्षद बीजेपी के साथ हैं। इसी वजह से कंग्रेसी पार्षदों ने भागना उचित समझा, लेकिन अब शहर की जनता भी जान चुकी है कि, कांग्रेस भ्रष्ट है और डर के मारे भाग गई है। इसके बावजूद अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेसी पार्षद को एकजुट करने के लिए पर्यवेक्षक भेजा गया और सभी कांग्रेसी पार्षदों को कंग्रेस भवन के बाहर निकलने की अनुमति नही दी गई है। 

कंग्रेस के पर्यवेक्षक ने क्या कहा

कंग्रेस के पर्यवेक्षक ने कहा कि, चुनी हुई निगम सरकार को भाजपा गिराने और ध्यान भटकाने में लगी हुई है। लेकिन सभी कांग्रेसी एक साथ हैं, सभी 29 पार्षद एक है और सहर विकास में अपना योगदान भी दे रहे हैं।