विरोध से विजय तक : साधारण किसान से जिला पंचायत अध्यक्ष बनने तक संघर्ष, संकल्प और सफलता की मिसाल बने अरुण सार्वा

Arun Sarva with supporters after victory
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जीत के बाद समर्थकों के साथ अरुण सार्वा
नगरी में अरुण सार्वा की ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। जहां उनके टिकिट का विरोध हुआ था, जीत के बाद उन्होंने वहीं मत्था टेककर आशीर्वाद लिया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 15 हजार वोटों से हराया है। 

गोपी कश्यप- नगरी। छत्तीसगढ़ के नगरी में अरुण सार्वा की ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। जहां उनके टिकिट का विरोध हुआ था, जीत के बाद उन्होंने वहीं मत्था टेककर आशीर्वाद लिया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 15 हजार वोटों से हराया है।

दरसअल, 30 जनवरी को जैसे ही भाजपा ने अरुण सार्वा को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया, सिहावा अंचल में उत्साह की लहर दौड़ गई। लेकिन इसी दिन भाजपा के ही कुछ असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नगरी स्थित भाजपा कार्यालय में टिकिट खरीद-फरोख्त का आरोप लगाकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जो भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में एक अप्रत्याशित घटना थी। इस विरोध की पूरे क्षेत्र और देशभर में तीखी आलोचना हुई।

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अरुण सार्वा को टिकट दिए जाने के खिलाफ भाजपा कार्यालय में हुई थी तोड़फोड़

हालांकि, जनता ने भाजपा के निर्णय को सही साबित करते हुए अरुण सार्वा को 15,000 से अधिक मतों से ऐतिहासिक जीत दिलाई और जिला पंचायत धमतरी में अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजा। भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया। यहाँ भी अरुण सार्वा ने निर्विरोध जीत दर्ज कर अपने सपने को साकार किया।

विरोध के स्थल पर ही सिर नवाकर लिया आशीर्वाद

अपनी जीत के बाद, अरुण सार्वा सबसे पहले नगरी स्थित उसी भाजपा कार्यालय पहुँचे, जहाँ उनके टिकिट की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शन हुआ था। उन्होंने वहां भाजपा के महापुरुषों के तेल चित्र पर माल्यार्पण और पूजन-अर्चन कर उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भाजपा की मूल विचारधारा समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास को वे अपने कार्यकाल में पूर्ण करेंगे।

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