स्टॉप डेम निर्माण की खुली पोल : पहली बारिश में ही बह गया, पानी की तलाश में रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे जंगली जानवर

Nagari, Vanmandal Stop Dam, Damaged in First rain, Wild animals reaching residential areas
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क्षतिग्रस्त हुए स्टॉप डैम
गर्मियों में वन्यजीवों के लिए पेयजल की व्यवस्था हेतु नगरी वनमंडल में लाखों रुपए की लागत से स्टॉप डेम बारिश में क्षतिग्रस्त हो गए। जंगलों में पानी का संकट गहराने लगा है।

कुलदीप साहू- नगरी। गर्मियों में वन्यजीवों के लिए पेयजल की व्यवस्था हेतु नगरी वनमंडल में लाखों रुपए की लागत से विभिन्न स्थानों पर स्टॉप डेम का निर्माण कराया गया था। लेकिन विभागीय उदासीनता और घटिया निर्माण कार्य की पोल अब खुलने लगी है। वन्यजीवों के लिए बनाए गए कई स्टॉप डेम पहली ही बारिश में क्षतिग्रस्त हो गए। जिससे जंगलों में पानी का संकट गहराने लगा है और जंगली जानवर गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।

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लाखों की लागत से हुआ था निर्माण

प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगरी रेंज अंतर्गत भालूपानी नाला, बीट क्रमांक 353 में बनाए गए स्टॉप डेम की हालत बेहद खराब है। हल्की बारिश में ही डेम का निचला हिस्सा बह गया, और वहां गेट ही नहीं लगाया गया था। जिससे सारा पानी बह गया। यह निर्माण लाखों की लागत से किया गया था। बाद में विभाग ने केवल मिट्टी भर दी, पर समस्या जस की तस बनी हुई है।

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पानी की तलाश में गांवों के किनारे पहुंच रहे वन्यजीव

वहीं, नगरी मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित गांव गचकन्हार के जंगलों (बीट क्रमांक 274, 273) में बने एक अन्य स्टॉप डेम की भी यही हाल है। यहां डेम के किनारे की मिट्टी बारिश में बह गई थी। जिसे बाद में विभाग ने उसी बह चुकी मिट्टी से भर दिया। देखने से ही स्पष्ट है कि अगली बारिश में यह फिर से बह जाएगा। वन्यजीवों के लिए बनाई गई इन जल संरचनाओं की विफलता के कारण अब जंगली जानवर पानी की तलाश में गांवों के किनारे तक आ रहे हैं।

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विभाग पर सख्त कार्यवाही की मांग

इस पूरे मामले में विभाग की लापरवाही साफ नजर आती है। न तो निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान दिया गया, न ही निगरानी की गई। वन परिक्षेत्र अधिकारी नगरी से जब इस संबंध में जानकारी ली गई तो उन्होंने टालमटोल करते हुए कुछ दिनों बाद जवाब देने की बात कही। इस प्रकरण को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता गोलू मंडावी द्वारा अनुशासन तिहाई के माध्यम से सूचना की मांग भी की गई है। यह मामला अब उच्चस्तरीय जांच की मांग करता है। वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियां न दोहराई जा सकें।

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