आरती सिंह -गीदम। ग्राम नागफनी... नागवंशी राजाओं के बनवाए नाग मंदिर के कारण ही शायद इसका नाम नागफनी रखा गया है। शुक्रवार को नागपंचमी पर यहां सालाना जलसा होगा। 20 से ज्यादा गांवों के लोग अपने देवताओं के साथ इकट्ठे होंगे। इस अनूठे मेले में आए ग्रामीण नाग मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर मन्नत मांगेंगे। ऐसा मेला यहां साल में एक ही बार होता है और वह आज है। गीदम ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बस्तर संभाग का इकलौता प्राचीन नाग मंदिर नागफनी ग्राम में स्थित है।
इस मंदिर में प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विशाल मेला लगता है। कहा जाता है कि नाग देवता के मंदिर के कारण ही इस गांव का नाम नागफनी पड़ा था। नाग पंचमी के दिन मंदिर परिसर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है और विशाल मेला भरता है, जहां बड़ी संख्या में आसपास के गांव के ग्रामीण जुटते हैं। यहां के लोगों को सांपों से विशेष लगाव है। मेले में आसपास के लगभग दो से तीन दर्जन गांवों के लोग हिस्सा लेते हैं और सभी अपने साथ देवी देवताओं का प्रतीक चिन्ह लेकर आते हैं। नाग मंदिर की पूजा गांव का अटामी परिवार करता है। मंदिर के पुजारी प्रमोद अटामी बताते हैं कि यहा जो भी श्रद्धालु सोमवार के दिन नाग मंदिर में आकर मन्नत मांगता है, वह जरूर पूरी होती है। इसलिए नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु अपने मनोकामना लेकर नाग मंदिर पहुंचते है।
छिंदक नागवंशी राजाओं का था शासन
बस्तर में लंबे समय तक छिंदक नागवंशी राजाओं का शासन था। शैव उपासक इस राजवंश द्वारा भगवान शिव और उनके गणों के कई मंदिरों का निर्माण कर मूर्ति स्थापित की गई। नागफनी का नाग मंदिर भी उनमें से एक है। मंदिर में भगवान गणेश, सूर्यदेव, शेषनाग सहित नागों की कई मूर्तियां हैं। पहले यह मूर्तियां खुले में रखी थी। बाद में स्थानीय ग्रामीणों ने मंदिर बनवाया। इस वर्ष भी नाग मंदिर में लगने वाले मेले के लिए विशेष तैयारियां चल रही है।
लक्ष्मी नारायण, शश व सिद्ध योग में मध्यरात्रि 12:37 बजे से पंचमी प्रारंभ, आज रात्रि 3:14 मिनट पर होगी समाप्त
उदया तिथि के आधार पर नाग पंचमी शुक्रवार को मनाई जाएगी। गुरुवार को मध्यरात्रि के बाद रात्रि 12 बजकर 37 मिनट पर इसकी शुरुआत हो चुकी है। शुक्रवार को मध्यरात्रि के बाद 3 बजकर 14 मिनट को पंचमी तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर आज नाग पंचमी मनेगी। कई शुभ योग इस दौरान रहेंगे। इसमें लक्ष्मी नारायण, शश और सिद्ध योग शामिल हैं। मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक शक्ति, मनोवांछित फल और अपार धन की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव के गण माने जाने वाले नाग देवता की घर-घर में पूजा की जाती है। नागपंचमी पर विशेष पूजन भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। कालसर्प दोष दूर करने के लिए भी इस दिन पूजन का विशेष महत्व होता है।
अखाड़ों में तैयारी पूरी
नाग पंचमी पर अखाड़ों में विशेष पूजन और कुश्ती प्रतियोगिता की परंपरा है। अखाड़ों की मिट्टी लेकर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजा की जाएगी। इसके पश्चात अखाड़ों में प्रतियोगिता प्रारंभ होगी। राजधानी में जहां दंतेश्वरी मंदिर और दूधाधारी मठ में प्रदेशस्तरीय स्पर्धाएं होंगी वहीं अन्य स्थानों में भी जिलास्तरीय स्पर्धाएं रखी जाएंगी। प्राचीन शिव मंदिरों में भी परंपरागत रूप से पूजन होगा। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए भी पूजन आज होगा।
जानिए... कौन से संयोग कितने बजे
■ पूजन का शुभ मुहूर्तः शुक्रवार को दोपहर 12:13 मिनट से लेकर 1:00 बजे तक का समय सबसे शुभ रहेगा।
■ प्रदोष काल में पूजन महूर्तः शुक्रवार को सायं 06:33 मिनट से रात को 08:20 मिनट तक रहेगा।
■ लक्ष्मी नारायण योग: शुक्रवार को नाग पंचमी के दिन सिंह राशि में शुक्र और बुध युति से लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। इस योग के प्रभाव से कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। पूरे दिन यह योग रहेगा।
■ शश राजयोग : इस दिन शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहते हुए शश राजयोग कानिर्माण करेंगे।
■ सिद्ध योग : गुरुवार को दोपहर 12:39 बजे से यह योग प्रारंभ हो चुका है, जो शुक्रवार दोपहर 1:46 बजे तक रहेगा। इस योग में पूजन सिद्धिदायक होगा।