लोक आयोग पहुंची शिकायत : वन कर्मियों के लिए बनाए जा रहे 17 आवास, चार साल बाद भी अधूरे पड़े

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चार सालों से अधूरा पड़ी निर्माण कार्य
डीएफओ वरुण जैन सहित 5 अधिकारियों की शिकायत लोक आयोग में पहुंची। वन कर्मचारियों के लिए बनाए जा रहे 17 आवासीय भवन चार साल बाद भी बनकर तैयार नहीं हुआ। 

अंगेश हिरवानी- नगरी। उदंती सीता नदी टाईगर रिजर्व के अर्सीकन्हार वन परिक्षेत्र में वन कर्मचारियों के लिए बनाए जा रहे 17 आवासीय भवन का मामला लोक आयोग पहुंच गया है। इस भवन की स्वीकृति साल 2020-21 में हुई और इसके लिए 95 लाख का बजट मुहैया कराया गया था लेकिन आज तक भवन का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। आवासीय भवन चार सालों से अधूरा पडा है।

पत्रकार उत्तम साहू ने मामले की शिकायत लोक आयोग में किया गया है जिस पर आयोग ने संज्ञान लेकर वन विभाग के अपर सचिव को पूरे मामले की जांच कर 8 मई तक प्रतिवेदन देने को कहा है। शिकायतकर्ता ने जांच में लीपापोती करने की आंशका जाहिर करते हुए मांग की है कि, जांच के दौरान मेरी भी उपस्थिती सुनिश्चित किया जाए ताकि जांच निष्पक्ष हो सके।

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अधिकारी जिसके खिलाफ की गई शिकायत

नगरी उदन्ती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद के उपनिदेशक वरुण जैन, एसडीओ जगदीश प्रसाद दर्रों, एसडीओ गोपाल कश्यप, अर्सीकन्हार परिक्षेत्र के तत्कालीन रेंजर देवदत्त तारम के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

ये है पूरा मामला

उदंती सीता नदी टाईगर रिजर्व के अरसीकन्हार परिक्षेत्र के अंतर्गत कैंपा मद से लगभग 1 करोड़ की लागत से वन कर्मचारियों के लिए 17 आवासीय भवन का निर्माण करना था। लेकिन चार साल के बाद भी यह निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हुआ है। इस कार्य में लगे दर्जन भर से अधिक मजदूरों को आज तक मजदूरी नहीं मिली है, इन अधिकारियों के संरक्षण में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है।

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निर्माण कार्यों पर लीपापोती

वन विभाग के भ्रष्टचार की पोल खुलने के बाद आनन-फानन में ग्राम फरसगांव में वन विभाग का पुराना कर्मचारी आवासीय क्वाटर है जो डिस्मेन्टल हो गया है। इसी डिस्मेन्टल भवन के ईंट का उपयोग नये निर्माण कार्य में खुलकर किया जा रहा है। यहां बताना लाजिमी है कि, सुरक्षा के लिहाज से हाथियों के लिए आये गजराज वाहन से पुराने भवन के ईंटों का परिवहन किया जा रहा है। इससे अब गजराज वाहन भी जर्जर और क्षतिग्रस्त हो गया है, इसी तरह निर्माण कार्य में जंगल के ही नदी नाले से रेत निकाल कर उपयोग किया जा रहा है।

क्लिक करें- यहां देखें शिकायत पत्र

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