नक्सलगढ़ में बज रहा फोर्स का डंका : डीकेएमएस अध्यक्ष समेत 9 नक्सलियों ने किया सरेंडर, एसपी ने की मुख्यधारा में लौटने की अपील

इमरान खान- नारायणपुर। माड़ बचाओ अभियान के तहत अबूझमाड़ में नक्सलियों की अघोषित राजधानी कुतुल में फोर्स का डंका बजने लगा हैं। इस इलाके से नक्सली बड़ी संख्या में आत्म समर्पण कर रहे हैं। शुक्रवार को डीकेएमएस अध्यक्ष समेत 9 नक्सलियों ने किया सरेंडर किया हैं। नारायणपुर की सरेंडर पॉलिसी के तहत पेड़ की झाड़ियों को दिखाकर कुतुल एरिया के करीब दो दर्जन नक्सली मुख्य धारा में लौट चुके हैं। फोर्स के बढ़ते दबाव और अंदरूनी इलाकों में नए सुरक्षा कैंप खुलने के बाद फोर्स के प्रति ग्रामीणों का विश्वास जगा हैं।
नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार ने कहा कि माड़ को वापस मूलवासियों को सौंपने का समय आ रहा हैं। माड़ में विकास कार्यों की वजह से बड़ा बदलाव आ रहा हैं। सड़कों का विस्तार होने और संचार की सुविधा मिलने से ग्रामीण दुनियां को करीब से देख और समझ रहे हैं। शासन की पुनर्वास नीति के फायदे घर, नौकरी ने इन्हें आकर्षित किया है। इन्होने आत्मसमर्पण माड़ एवं खुद की भलाई के लिए सोचा है। उन्होंने अनुभव किया कि केवल शीर्ष नेतृत्व के दबाव में आकर उन्होंने माड़ के लोगों को प्रताड़ित किया और लोग उनका साथ छोड़ते चले गये है। जहां नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व भी अब उनकी विचारधारा के साथ नहीं बल्कि खिलाफ है, यह द्वन्द सालों से इनके भीतर रहा है लेकिन ‘माड़ बचाओ अभियान” उन्हें अब एक नई आस दी है।
नारायणपुर में डीकेएमएस अध्यक्ष समेत 9 नक्सलियों ने किया सरेंडर किया हैं। नारायणपुर की सरेंडर पॉलिसी के तहत पेड़ की झाड़ियों को दिखाकर कुतुल एरिया के करीब दो दर्जन नक्सली मुख्य धारा में लौट चुके हैं। pic.twitter.com/vC71H2Yxfx
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विकास कार्यों से प्रभावित होकर छोड़ रहे संगठन
उन्होने आगे कहा कि, माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण के पीछे माड़ और नारायणपुर जिले में चलाये जा रहे विकास कार्य बड़ा कारण रहा तेजी से बनती सड़कें, गावों तक पहुंचती विभन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रभावित किया है। संगठन के विचारों से मोहभंग एवं मिली निराशा, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद तेलंगाना-आंध्र-उड़ीसा कैडर के नक्सलियों के दबाव पूर्वक कार्य कराने की नीति के चलते इन नक्सलियों को यह महसूस हुआ कि वे व्यर्थ ही अपने ही लोगों को मार रहे थे। छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ने उन्हें नई उम्मीद दी है और वे जंगल की कठोर परिस्थितियों में जीवन बिताने और संगठन के भीतर शोषण तथा क्रूर व्यवहार से बाहर निकलकर समाज के मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन बिता सकते हैं।
नक्सल ऑपरेशन से घबराकर कर रहे सरेंडर
एसपी ने आगे कहा कि, सुरक्षा बलों के लगातार अंदरूनी क्षेत्रों में कैम्प स्थापित करने एवं क्षेत्र में चलाये जा रहे आक्रामक अभियानों एवं मारे जाने से उत्पन्न भय ने भी इन्हें संगठन छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों के खोखले विचारधारा व क्रूर व्यवहार, आंतरिक मतभेद से बाहर निकलकर समाज के मुख्य धारा जुड़ने के लिए प्रेरित हो रहे है जो कि माड़ डिवीजन के अंतर्गत कुतुल एरिया कमेटी दिलीप ध्रुवा (एसीएम) सहित अन्य छोटे कैडर के 07 माओवादियों का आत्मसमर्पण इसी का परिणाम है।
एसपी ने मुख्यधारा में लौटने की अपील
एसपी प्रभात कुमार ने कहा कि माओवादी की विचारधारा में भटके नक्सलियों को उनके घर वाले भी वापस लाना चाहते है। हम सभी नक्सली भाई-बहनों से अपील करते हैं कि उनका बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा से बाहर निकलने का समय आ गया है, अब समय माड़ को वापस उसके मूलवासियों सौंप देने का है जहाँ वे स्वछन्द रूप से अपना जीवन व्यतीत कर सके। नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व के दबाव में आकर नक्सली संगठन से अपील किया गया कि वे भय मुक्त होकर आत्मसमर्पण कर शासन की पुर्नवास योजना का लाभ लेवें अन्यथा उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि सन्तु वड़दा, मासा वड़दा, पुनउ राम वड़दा, रमेश वड़दा, अजय ध्रुव, सुदील कुमेटी, अनिल वड़दा, करवे वड़दा व आयतु उसेण्डी आत्मसमर्पण किया हैं।
समर्पण करने वालों को दी जाएगी सुविधायें
जिला नारायणपुर में वर्ष 2024 से अब तक 41 से अधिक बडे़-छोटे कैडर के माओवादी का आत्मसमर्पण हुआ हैं। 60 से अधिक माओवादियों के मारा जाना व 43 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं। आत्मसमर्पित माओवादी माड़ के कुतुल क्षेत्र के विभिन्न नक्सल गतिविधि में रहे शामिल रहे है। नक्सलियों को बड़ा झटका लगा हैं। आत्मसमर्पण करने पर प्रोत्साहन राशि 25 हजार का चेक प्रदाय किया गया एवं उन्हें नक्सल उन्मुलन नीति के तहत् मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाया जायेगा।
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