नेशनल हाईवे पर उद्यान का रोड़ा : 36 साल पहले नेशनल हाईवे घोषित सड़क का 6 किमीं हिस्सा आज भी राजकीय मार्ग

महेंद्र विश्वकर्मा - जगदलपुर। बस्तर जिले को सुकमा जिले से जोड़ने वाली सड़क वैसे तो लगभग 36 साल पहले ही राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 घोषित हो चुका है। लेकिन बीच का 6 किमीं का हिस्सा कांग्रेर घाटी के नक्शे में आने के कारण अब भी राज्य मार्ग में शामिल है। जिसके चलते उक्त 6 किमीं की लंबाई अब भी सिंगल रोड है। जबकि यह सड़क आंध्रप्रदेश, तेलंगाना राज्यों को छत्तीसगढ़ से जोड़ती हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्ग होने के बावजूद राज्य मार्ग के रूप में उपयोग की जा रही है। बस्तर से सुकमा जिले के छिंदगढ़ तक नेशनल हाइवे की हालत बद से बदतर हो चुकी है। दरभा के बाद झीरम घाटी से लेकर तोंगपाल, छिंदगढ़ पाकेला तक सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। छिंदगढ़ ब्लॉक तक बीच मे पड़ने वाली तोंगपाल, छिंदगढ़, पाकेला में भी पूरे रास्ते भर में बड़े-बड़े गड्ढे के बीच एनएच खो चुका है। नेशनल हाइवे की दशा इतनी बुरी हो चुकी है कि, सुकमा से जगदलपुर की दूरी तय करने में लगभग 4 से 5 घंटे का समय लग रहा है। इसके अलावा तोंगपाल से सुकमा तक 50 किलोमीटर की सड़क को पार करने में लोगों को 2 से ढाई घंटे का समय लग रहा है।

अपने हाल पर आंसू बहा रहा एनएच
बस्तर जिले के दरभा झीरम घाटी नेशनल हाईवे-30 पर 25 मई 2013 को हुए देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक झीरम घाटी हमले में 31 लोगों की शहादत हो गई, इसके चलते यह सड़क याद दिलाकर खुद पर आंसू बहा रहा है। यह सड़क कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के माध्यम से गुजरती है और इसके चौड़ीकरण से गुफाओं और वन्यजीवों को नुकसान हो सकता है। यही कारण से सड़क चौड़ीकरण का कार्य अस्थायी रूप से रूका गया है।
टेंडर प्रक्रियाधीन है
लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग उप संभाग सुकमा के एसडीओ दिलीप बारला ने इस संबंध में बताया कि, नेशनल हाईवे-30 का जर्जर सड़क के रिनीवल का कार्य टेंडर प्रक्रिया में है।
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