रायपुर। नीट का रिजल्ट जारी होने के बाद अब रजिस्ट्रेशन और फिर काउंसिलिंग के साथ एमबीबीएस में प्रवेश का सिलसिला शुरू होगा, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग के लिए डॉक्टर की पढ़ाई आसान नहीं है। सरकारी कॉलेजों की सीमित सीटों में प्रवेश मिल गया तो ठीक, नहीं तो निजी कॉलेजों के लिए भारी भरकम फीस जुटाना आसान नहीं होगा। यह जानकर हैरत होती है कि शासकीय मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई ढाई से तीन लाख रुपए में पूरी हो जाती है, लेकिन इसके लिए निजी मेडिकल कालेज में चालीस लाख रुपए तक देना पड़ता है, जो तेरह गुना महंगा है।
राज्य में पिछले साल निजी मेडिकल कालेजों की फीस साढ़े सात से आठ लाख रुपए सालाना थी। उस दौरान तीन मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 450 सीटें थीं। पिछले सत्र तक राज्य में तीन मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 450 सीट थी। वर्ष 2024-25 के शिक्षण सत्र के लिए दो और कालेजों को अनुमति मिलने के बाद सीटों की संख्या बढ़कर 650 हो गई है। छात्रों के
पिछली बार निजी मेडिकल कालेजों की फीस
- रायपुर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज - 745187
- श्री शंकराचार्य इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज - 799187
- श्री बालाजी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज - 7850187
उच्चतम स्तर पर फीस
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि, प्रदेश में निजी मेडिकल कालेजों की फीस उच्चतम स्तर पर है। मध्य वर्ग के लोगों को पढ़ाई प्रारंभ करने के पहले आर्थिक स्थिति का आकलन करना पड़ता है। निजी मेडिकल कालेजों की फीस गाइडलाइन निर्धारित कर विशेषज्ञों की कमेटी तय करती है। अक्सर प्राइवेट मेडिकल कालेज इसका पालन नहीं करते।