पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में गरीबी उन्मूलन के नारे किताबी हैं। विकास के नाम पर इस जिले में डीएमएफ मद के पैसों से जिस तरह से करप्शन हुआ है, शायद ही छतीसगढ़ के किसी दूसरे जिले में आपको सुनाई दे।
आपको बता दें कि, DMF का मतलब डिस्ट्रिक मिनरल्स फंड होता है। बस्तर की धरती से निकलने वाले लोहे की कीमत का कुछ अंश खनन राशि एनएमडीसी द्वारा हर साल दंतेवाड़ा जिला प्रशासन को दिया जाता है। यह राशि अनुमानित हर वर्ष 500 करोड़ रुपये से ऊपर होती है। बस्तर के पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य शिक्षा और मूलभूत विकास के नाम पर खर्च करने को मिलती है। पर दंतेवाड़ा जिले में आज भी खनन प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा-स्वास्थ्य और गरीबी से जूझते आदिवासी ग्रामीण आपको मिल जायेंगे। इन सबका एकमात्र कारण है कागजों में विकास दिखाकर भ्रष्टाचार की फसल उगाना। अब आपको सड़क निर्माण में पीएमजीएसवाय के ठेकेदारों के साथ मिलकर करप्शन के कारनामे के बारे में बताते हैं।
8 किमी. सड़क बनाने का टेंडर 14 भागों में जारी हुआ
मोखपाल से छोटेगुडरा गांव तक एक डामरीकृत सड़क 8.40 किलोमीटर दूरी तक बनाने का टेंडर डीएमएफ मद से पीएमजीएसवाय विभाग को एजेंसी बनाकर पूर्व कलेक्टर विनीत नंदनवार के कार्यकाल में जारी किया गया था। जहाँ निविदा प्रक्रिया को पूरी तरह से ताक पर रखकर 8 किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य को 14 भाग में विभक्त कर दिया गया। ताकि आसानी से निर्माण शाखा द्वारा गोपनीय टेंडर प्रक्रिया दंतेवाड़ा ऑफिस में बैठे-बैठे ही पूर्ण कर ली जाये।
कई भागों में टेंडर जारी करने का खेल समझिये
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नियमतः निर्माण शाखा के विभागीय ईई को 50 लाख रुपये तक कि तकनीकी स्वीकृति देने का पावर होता है। इससे ऊपर की तकनीकी स्वीकृति की फाइल संभाग और प्रदेश स्तर पर चलानी होती है। यही कारण है कि, दंतेवाड़ा जिले में सभी कामो को जिला निर्माण समिति द्वारा पहले कई भागों में लगाकर मैन्युल पद्धति से किया जा रहा था। जहाँ जिले के रसूखदार ठेकेदार कमीशन की मोटी रकम अधिकारियों तक पहुँचाकर कामों की बंदरबांट करते हैं।
शिकायत पर कलेक्टर ने शुरू की जांच
जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा कलेक्टर ने PMGSY विभाग की सड़कों में आई शिकायतों के निराकरण के लिए सड़क ठेकेदारों को 16 फरवरी को नोटिस जारी कर 3 दिनों के अंदर जवाब मांगा था। छोटेगुडरा से मोखपाल सड़क पर प्रक्रियानुसार निविदा नियमों को दरकिनार कर दिया गया। जिसके लिए विज्ञापन भी गलत तरीके से छपवाया गया। ठेकेदार पर प्री कांट्रेक्ट एग्रीमेंट के नियम 4 एवं 4.5 का उल्लंघन बताया गया है। बता दें कि दंतेवाड़ा जिले में इस तरह प्री कांट्रेक्ट एग्रीमेंट में कई ठेकेदार शामिल होकर नियम विरुद्ध टेंडर प्रक्रिया अपनाकर करोड़ों रुपये के काम कर रहे हैं। अगर पारदर्शिता से जांच हो जाये तो निर्माण की अन्य शाखाओं में भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।