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Haribhoomi Impact: लौह अयस्क को पाइप लाइन के माध्यम से विशाखापट्टनम ते ले जाने की कवायद चल रही है। इसमें निकलने वाली वेस्ट आयरनयुक्त लाल मिट्टी को नदी किनारे पाटा जा रहा था।

पंकज सिंह भदौरिया-दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में दंतेश्वरी मंदिर के पास शंखनी-डंकनी नदी किनारे डंप किए गए वेस्ट मटेरियल्स को हटाने का आदेश दिया गया है। बायोडावर्सिटी बोर्ड ने पर्यावरणविद की शिकायत के बाद कलेक्टर से काम रोकने के लिए कहा था, लेकिन फिर भी काम जारी रहा। उल्लेखनीय है कि, लौह अयस्क की खदानों से आयरन ओर वेस्ट मटेरियल्स को ट्रकों में जमा कर यहां डंप किया जा रहा था। 

हरिभूमि डॉट कॉम ने 'शंखनी-डंकनी के किनारे टेलिंग्स डंप बना शहरवासियों के लिए सरदर्द, भारी वाहन निषेध क्षेत्र में दिन रात दौड़ रहीं लाल मिट्टी भरी गाड़ियां' टाइटल से इस खबर को प्रकाशित किया था। जिसका असर देखने को मिला।   haribhoomi news data

इस मामले को लेकर फिर से 12 जनवरी को पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने पर्यावरण विभाग के चेयरमैन आर संगीता को पत्र लिखकर दोबारा आपत्ति जताई। इस पर जिला प्रशासन दंतेवाड़ा को फिर एक बार फटकार लगाई गई। तब जाकर खनिज विभाग दंतेवाड़ा ने नदी के किनारे आयरन टेलिंग्स डंप सॉलिड वेस्ट को खोदकर वापस निकालने का आदेश दिया। 

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नदी के पानी में मिल सकता था आयरन ओर 
दरअसल, आर्सेलर मित्तल कंपनी बैलाडिला की लौह अयस्क खदानों में पाइप लाइन के जरिए विशाखापटनम तक लौह अयस्क ले जाने का काम कर रही है। इसी अयस्क के परिवहन से बचे आयरन ओर वेस्ट टेलिंग्स को दंतेवाड़ा शहर में दंतेश्वरी मंदिर के पास डंप करने के लिए लाया जा रहा है। इस टेलिंग्स के नदी के पानी में मिलने से नदी के जीव- जंतु और आमजन को भी खतरा है। इसके बावजूद यहां पर आयरन ओर वेस्ट मटेरियल को डंप किया जा रहा है। 

शिफ्टिंग का काम शुरू करा दिया गया: कलेक्टर
इस पूरे मामले में दंतेवाड़ा कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कहा कि, आर्सेलर मित्तल कंपनी को नदी किनारे से डंप टेलिंग्स उठाने के निर्देश दिए गए हैं। नदी के किनारे जितनी भी टेलिंग्स डंप की गई है उसे खोदकर वापस भरकर दूसरे जगह ले जाने का काम शुरू करवा दिया गया है। 

नदी को हो रहा था भारी नुकसान: सिंघवी
पर्यावरणविद नितीन सिंघवी ने कहा कि वर्ष 2021-22 में शंखनी-डंकनी नदी के तट पर आयरन ओर डंप करने का काम शुरू किया गया। इसे लेकर जनहित याचिका न्यायालय में दायर की गई फिर भी कमेटी ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। फिर 2022 की बाढ़ में आयरन ओर वेस्ट मटेरियल का एक बड़ा हिस्सा नदी में बह गया। इससे नदी के तट को नुकसान हो गया उसके बाद 07 नवम्बर 2022 को छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल ने 75 हजार टन और टेलिंग्स डंप करने का आदेश दे दिया। इसके बाद जैव विविधता बोर्ड ने मामले की जांच शुरू की। 

दोबारा डंपिंग की अनुमति समझ से परे
जांच में निष्कर्ष निकला कि, आने वाले समय में आयरन ओर वेस्ट मटेरियल टेलिंग्स का एक बड़ा हिस्सा नदी में बह जाएगा। फिर जिला प्रशासन ने डंप टेलिंग्स को वापस उठाने का आदेश दिया। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि, जब 2022 में एक मेजर हिस्सा बाढ़ में बह गया था तो फिर आखिर 75000 टन दोबारा डंप करने का आदेश क्यों जारी किया गया।

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