रायपुर। सबसे बड़ी मुठभेड़ में मारे गए 29 नक्सलियों में शंकर राव बड़ा लीडर था। अफसरों के मुताबिक शंकर नार्थ बस्तर डिविजन के बड़े नक्सली नेताओं में शामिल था। वह राव मेडिकल टीम का इंचार्ज होने के साथ ही अपने डिवीजन का मिलिट्री इंटेलिजेंस चीफ था। शंकर राव दहशत का दूसरा नाम था। शंकर राव के नाम की दहशत आम लोगों के साथ पुलिस के बोच थी। शंकर राव के बारे में बताया जाता है, वह एलएमजी के साथ एके-47 जैसे घातक हथियार चलाने में माहिर था। शंकर राव का दखल छत्तीसगढ़ के साथ ओडिशा तथा तेलंगाना के नक्सलियों के बीच भी होने की बात सामने आई है। राज्य के इतिहास में पहली बार थोक में 29 नक्सलियों के मारे जाने की घटना के बाद केंद्रीय बलों के साथ राज्य पुलिस नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान जारी रख नक्सलियों के खात्मा करने की बात कह रही है।
एडीजी नक्सल विवेकानंद सिन्हा ने हरिभूमि से चर्चा करते हुए बताया कि, 29 नक्सलियों को मौत के घाट उतारे जाने के बाद संवेदनशील क्षेत्रों में सर्चिग तेज की गई है। साथ ही अफसर ने आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण चुनाव कराने सुरक्षा संबंधी हरसंभव कदम उठाने की जानकारी दी है। एडीजी नक्सल श्री सिन्हा के मुताबिक मुठभेड़ में मारे गए 29 नक्सलियों में से 8-9 की पहचान कर ली गई है। शेष नक्सलियों की शिनाख्ती की जा रही है। अफसर के अनुसार जिन मारे गए नक्सलियों की पहचान की गई है, वो सभी इनामी थे। अफसर के अनुसार अन्य मारे गए नक्सलियों की पहचान के बाद पता चल पाएगा कि उनमें से कितने इनामी हैं। अफसर के अनुसार एनकाउंटर में लगातार नक्सलियों के मारे जाने के बाद नक्सलियों के हौसले पस्त हुए हैं। अफसर के अनुसार नक्सलियों के खात्मे के लिए क्षेत्र में मुखबिर तंत्र को और मजबूत करने के साथ ही हाईटेक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।
ललिता परतापुर एरिया कमेटी इंचार्ज थी
एडीजी एंटी नक्सल श्री सिन्हा के मुताबिक ललिता परतापुर एरिया कमटी के साथ वह डिविजनल कमेटी की भी इंचार्ज थी। साथ ही जनताना सरकार की प्रभारी थी। अफसर के अनुसार मंगलवार की घटना के बाद नक्सलियों को मारी नुकसान हुआ है।
जवाबी फायरिंग में सबको मार गिराया गोली लगी, फिर भी तीन घंटे लड़ते रहे
छोटे बेठिया के कलप जंगल में बांस की झाड़ियों के बीच नक्सली झुंड में बैठे थे..। फोर्स को देखते ही बौखलाकर उन्होंने गोली चलाना शुरू कर दिया। हमने जवाबी फायरिंग की और सबको मार गिराया। मुठभेड़ के दौरान पैर में दर्द और खून बहता देखा, तो पता चला कि गोली लगी है, मगर डरे बिना तीन घंटे तक नक्सलियों से लड़ते रहे। मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से घायल हुए बीएसएफ के एसआई रमेश चौधरी ने हरिभूमि को अपनी शौर्यगाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि सचिंग के दौरान सूचना मिली कि छोटे बेठिया थाना के कलप जंगल में नक्सली पहाड़ी और बांस की झाड़ियों के बीच डेरा जमाकर बैठे हैं।
पहाड़ी और बांस की झाड़ियों के बीच डेरा जमाकर बैठे थे नक्सली
सर्चिग पार्टी ने योजना बनाकर घेराबंदी की। इसी बीच नक्सलियों को उनके आने की भनक लग गई और भागने के लिए वे गोली चलाने लगे। तब तक फोर्स के जवान एक्शन ले चुके थे और जवाब में चलाई गई गोलियों से नक्सली एक-एक कर गिरते चले गाएर। उन्हें भागने का मौका नहीं दिया गया और जितने थे, सबको मार दिया गया है। उन्होंने कहा कि बांस की झाड़ियों की ओट से वे भी गोली चला रहे थे। इसी दौरान पैरों में दर्द महसूस हुआ..। देखा तो पता चला कि खून बह रहा है, मगर डरे बिना वे तीन घंटे उसी एक्शन में रहकर नक्सलियों को अपना निशाना बनाते रहे।
अस्पताल में भर्ती बीएसएफ के एसआई रमेश चंद्र ने बताई शौर्य गाथा
बीएसएफ के एसआई ने बताया कि संभवतः नक्सलियों के एलएमजी के ब्रस्ट फायर के दौरान गोली लगी। ब्रस्ट फायर में एक साथ तीन गोली निकलती है और यह पता नहीं चलता कि उसकी दिशा कौन सी है। उन्होंने आशंका जताई कि नक्सलियों का झुंड मिलेट्री प्लाटून कंपनी की तरह रहा होगा, क्योंकि उनके पास एलएमजी, इंसास,एके 47 जैसे घातक हथियार थे। उन्होंने कहा, स्वस्थ होने के बाद वे फिर से मोर्चे पर जाकर नक्सलियों से लोहा लेंगे।
परिवार वाले पहुंचे
बीएसएफ के जवान रमेश चंद्र मूलतः राजस्थान के रहने वाले हैं। पूर्व में उन्होंने एनएसजी टीम के माध्यम से देश के विभिन्न वीआईपी की सुरक्षा की कमान संभाली थी। हाल में बांदे थाने में पदस्थ हैं, जहां से घटनास्थल की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। सूचना पर उनके घर वाले अस्पताल पहुंचे और बीएसएफ साथी उनकी मदद के लिए तैनात हैं। सर्जरी के बाद खतरे से बाहर, रिकवरी में लगेगा वक्त एयर लिफ्ट कर रायपुर लाए गए बीएसएफ के एसआई रमेश चंद्र और डीआरजी जवान सूर्यकांत श्रीमाली का देवेन्द्र नगर स्थित श्री नारायणा हास्पिटल में ऑपरेशन हुआ। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका ने बताया कि डीआरजी जवान की चोटों का डिब्राइमेंट कर मृत हो चुके शेल्स को बाहर किया गया। वहीं बीएसएफ के जवान के चोट वाले स्थान पर एक्सटर्नल फिक्सेशन की प्रक्रिया पूरी की गई। दोनों खतरे से बाहर हैं, मगर उन्हें पूरी तरह स्वस्थ होने में थोड़ा वक्त लग सकता है।