प्रेमलाल पाल/धरसींवा- छत्तीसगढ़ के धरसींवा विधानसभा में अवैध कारोबार चरम पर है। यहां के लोगों का साफ तौर पर कहना है कि, कांग्रेस शासन काल में अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार हुआ था। इसलिए सत्ता परिवर्तन करने के लिए भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी अवैध कारोबार से लेकर अन्य अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। इसी कारण नई सरकार बनते ही ग्रामीणों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ने लगी है।

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चखना सेंटरों पर कार्रवाई...

छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद शराब दुकानों और चखना दुकानों सहित अतिक्रमण की कार्रवाई कर प्रशासन ने शासन की नजरों में अपनी छवि सुधारने की कोशिश जरूर की है, लेकिन गांव-गांव और नगर में अवैध शराब की बिक्री में कोई कमी नहीं आई है। इन सबके पीछे आबकारी विभाग और शराब दुकानों में प्लेसमेंट के कर्मचारियों की मिलीभगत है। दुकानों में कार्यरत कर्मचारी दुकानों से सप्लाई करने के लिए बकायदा सप्लायर नियुक्त करते हैं, जिनके माध्यम से गांव-गांव में शराब की सप्लाई की जा रही है। 

ग्रामीण महिलाओं में आक्रोश...

शराब बिक्री को लेकर चुनाव के दौरान ग्रामीण महिलाओं में काफी आक्रोश देखा गया था और सरकार बदलने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि, गांव-गांव और गली-गली शराब में कुछ हद तक लगाम लगेगी, वहीं जानकारों की माने तो कुंरा और सिलतरा, मांढर में मदिरा दुकानों में खुदरा विक्रय का आंकड़ा कोचियों को दिए जाने वाले थोक माल की तुलना में काफी कम है। ग्रामीण क्षेत्रों के हर गली में शराब उपलब्ध कराने के लिए शराब माफियाओं ने पूरे क्षेत्र में नेटवर्क बिछा रखा है और अधिकारियों के नाक के नीचे गोरखधंधा चल रहा है।

संरक्षण में अवैध कबाड़ी का धंधा...

यह पूरा कारोबार अधिकारियों की जानकारी में नहीं है, ऐसा तो बिलकुल नहीं है। अवैध शराब विक्रय का खेल पूर्व कांग्रेस सरकार के बाद अब भाजपा सरकार में भी जारी है। जानकारी के अनुसार, धरसींवा क्षेत्र के 3 देशी मदिरा के और 3 विदेशी मदिरा की दुकान शासन ने संचालित की हैं। लेकिन इससे कई गुना इन दुकानों से कोचिए जुड़े हुए हैं जो की आसानी से इन दुकानों से माल लेकर खुलेआम ग्रामीण क्षेत्रों में शराब सप्लाई करते हैं। इधर, ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से शराब उपलब्ध होने की वजह से महिलाओं और बच्चों में इसका सीधा असर हो रहा है। बच्चों से लेकर बूढ़े शराब का सेवन कर रहे हैं। 

खेत-खलिहान में बन रहे मकान...

कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरा करने के बाद जमीन की खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कॉलोनी विकसित हो रही है। बल्कि खेत-खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। मामला संज्ञान में होने के बाद भी अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इस स्थान पर धड़ल्ले से जमीन खरीदने वालों को ठगा भी जा रहा है।

टीआई शिवेंद्र राजपूत ने क्या बताया...

अवैध कारोबार से संबंधीत फोन से उन के ऊपर कार्यवाही के संबंध में बात किए जाने पर टी आई शिवेंद्र राजपूत ने कहा कि, क्षेत्र के बड़े-छोटे करोबारियों पर एक साथ कार्यवाही होगी। लेकिन यहां पर कार्यवाही होती हुई नजर नहीं आ रही...