रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नए नियमों ने प्राइवेट परीक्षार्थियों की राह मुश्किल कर दी है। नए नियमों के मुताबिक अब प्राइवेट परीक्षार्थियों के लिए परीक्षा के पहले एक माह की कक्षा अनिवार्य होगी। इन कक्षाओं में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर ही उनके आंतरिक मूल्यांकन के अंक तय किए जाएंगे। प्राइवेट स्टूडेंट जिस कॉलेज का चुनाव सेंटर के रूप में करेंगे, उसी महाविद्यालय में छात्र की कक्षा संचालित होगी। नए नियमों पर निजी महाविद्यालयों का कहना है कि उनके यहां सीट रिक्त रहने और अध्यापन के लिए पर्याप्त प्राध्यापक होने की स्थिति में वे निजी छात्रों की कक्षाएं संचालित कर सकेंग।
अर्थात अब छात्र प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में भी उस वक्त ही आवेदन कर सकेंगे, जब उन्हें माहभर के अध्ययन के लिए कॉलेजों में सीट मिल सकेगी। प्राइवेट छात्रों को इन कक्षाओं में वर्ष में दो बार उपस्थित होना होगा, क्योंकि नियमित छात्रों की ही तरह प्राइवेट छात्रों की भी परीक्षा सेमेस्टर आधार पर वर्ष में दो बार होगी। सभी सेमेस्टर में छात्रों का आंतरिक मूल्यांकन अनिवार्य होगा।
इस बार पंजीयन शीघ्र
सामान्य दिनों में प्राइवेट परीक्षार्थियों से परीक्षा फॉर्म मार्च-अप्रैल में होने वाली परीक्षा से कुछ दिन पूर्व तक भरवाए जाते थे। चूंकि नए सत्र से इनकी भी कक्षाएं लगेंगी, इसलिए इस बार प्राइवेट परीक्षार्थियों के पंजीयन परीक्षा से पर्याप्त समय पहले किए जाएंगे। जुलाई में प्रवेश प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अगस्त से प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल खोल दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रायोगिक कार्य भी इस दौरान किया जाएगा। यह व्यवस्था केवल प्रथम वर्ष के प्राइवेट छात्रों के लिए लागू की जाएगी, जिसे क्रमशः आगे बढ़ाया जाएगा। कई शिक्षाविदों ने भी इसे लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि नय नियम से प्राइवेट छात्रों की संख्या घट सकती है।
क्षमताओं पर निर्भर
महंत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी ने बताया कि, निजी महाविद्यालयों के पास संसाधन कम होते है। हम कितने प्राइवेट छात्रों की कक्षाएं ले सकते हैं, यह क्षमताओं पर निर्भर करता है। लेकिन यह तय है कि पहले की तरह थोक में आवेदन नहीं ले सकेंगे।