रायपुर। नया रायपुर के किसानों से सालों पहले अधिग्रहण की गई जमीन के मुआवजे के रूप में हर साल सैकड़ों किसानों को उनकी अधिग्रहित जमीन के रकबे के अनुसार बोनस दिया जा रहा है, लेकिन पिछले दो साल से करीब डेढ़ से दो सौ किसानों को बोनस मिला नहीं है। प्रभावित किसानों का कहना है कि एनआरडीए की गलती के कारण उन्हें बोनस की राशि मिल नहीं पा रही है। 

एनआरडीए ने अधिग्रहित जमीनों की रजिस्ट्री के समय कई किसानों की जमीनों पर लगे पेड़ों और कुंओं को दर्शाया नहीं, जिसके कारण ऑडिट रिपोर्ट में इन किसानों को अतिरिक्त राशि का भुगतान कर दिया गया है, बताकर बोनस की राशि रोक दी गई है। इस मामले में हरिभूमि ने कुछ किसानों से भी बातचीत की, जिन्हें दो साल से बोनस नहीं मिल पाया है। उनका यही कहना है कि एनआरडीए के अधिकारी इस मामले में ऑडिट रिपोर्ट का बहाना बनाकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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डेढ़ से दो सौ किसानों की बोनस राशि अटकी

बोनस नहीं मिलने से परेशान किसानों ने बताया कि,  नया रायपुर के गांव के डेढ़ से सौ सौ किसानों को पिछले दो साल से बोनस राशि नहीं मिल पाई है। मन्नू ध्रुव, रामेश्वर ध्रुव सहित ऐसे सैकड़ों किसान हैं, जिनकी बोनस की राशि ऑडिट के नाम पर अटका दी गई है।

केस - 1 

ग्राम बंजारी निवासी किसान सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि उसकी डेढ़ और ढाई एकड़ की अलग-अलग जगह कुल चार एकड़ जमीन को एनआरडीए ने अधिग्रहण किया है। इसके एवज में हर साल उसे डेढ़ एकड़ जमीन के बदले 33 हजार रुपए और ढाई एकड़ जमीन के एवज में 64 हजार रुपए मिलते थे, लेकिन पिछले दो साल से 64 हजार रुपए की किस्त उसे नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि इस बारे में जब वे एनआरडीए अधिकारी से मिले, तो उनका यही कहना है कि रजिस्ट्री के दौरान उसकी जमीन पर कुंआ और पेड़ को दर्शाया नहीं गया था, जिसके कारण ऑडिट रिपोर्ट में मुआवजा के रूप में अतिरिक्त राशि का भुगतान करना दिखा रहा है। इस कारण से उसका सालाना बोनस रोक दिया गया है।

केस - 2 

बंजारी गांव ही रहने वाले किसान गणेशराम ध्रुव ने उसकी जमीन भी एनआरडीए ने अधिग्रहित की थी। इसके एवज में हर साल बोनस के रूप में उसे 64 हजार रुपए मिलता था, लेकिन पिछले दो साल से उसके खाते में बोनस की राशि नहीं आ रही है। इसे लेकर उन्होंने जब एनआरडीए दफ्तर जाकर पता लगाया, तो पता चला कि ऑडिट रिपोर्ट में मुआवजा राशि में अतिरिक्त राशि का भुगतान करना बता रहा है। उसकी जमीन पर पेड़ लगे थे, जिसे रजिस्ट्री के समय एनआरडीए ने दर्शाया नहीं था। इसके कारण अब उसकी सालाना बोनस राशि ही रोक दी गई है।