रायपुर। भाठागांव में शामिलात चारागान की 63 एकड़ भूमि पर भू-माफिया का कब्जा मामले की 5 माह पहले जिला कलेक्टर, राजस्व अधिकारी से लेकर थाने में भी शिकायत की गई थी। जिन चार किसानों के नाम पर भूमि दर्ज हैं, उनमें से एक किसान ने तो 5 माह पहले ही अपना मुख्तारनामा भी निरस्त करा दिया था, जिसकी जानकारी देते हुए उन्होंने भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए कलेक्टर और राजस्व अधिकारी से शिकायत की थी।
इधर भाठागांव के ग्रामीणों ने भी पुरानी बस्ती थाने में 5 माह पूर्व ही शिकायत दर्ज कराई थी कि शामिलात चारागाह की भूमि के दस्तावेजों में हेराफेरी कर चार किसानों ने भूमि को बेचने के लिए भू-माफिया से एग्रीमेंट कर लिए हैं। इन शिकायतों के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी, जिसका फायदा उठाते हुए भू-माफिया ने भूमि पर काम करना शुरू कर दिया था।
भूमि पर अब भी माफिया का कब्जा
ग्रामीणों के भूमि पर माफिया का कब्जा किए जाने के विरोध में भाठागांव में एक दिन व्यापार बंद किया था। इस बंद से एक दिन पूर्व ग्रामीणों ने इसकी घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद तहसील कार्यालय ने आनन-फानन में भूमि पर माफिया द्वारा लगाए लोहे का गेट को सिर्फ हटाने की कार्रवाई की, जबकि भूमि पर अब भी माफिया का कब्जा बना हुआ है। भूमि पर माफिया द्वारा लगाया गया सूचना बोर्ड, झोपड़ीनुमा घर, सीसीटीवी कैमरा तथा गेट के लिए बनाए गए सीमेंट के पिलर को अब तक हटाया नहीं गया है।
169 किसानों के नाम ढूंढने में जुटा गांव
गांव के विरोध-प्रदर्शन बैठक के दौरान तहसील कार्यालय से ग्रामीणों को आश्वास्त किया गया है कि 63 एकड़ भूमि में जितने किसानों के नाम पूर्व में दर्ज थे, उन किसानों के नाम पुनः चढ़ाए जाएंगे। इसके लिए तहसीलदार ने ग्रामीणों से पूर्व में दर्ज 173 नाम में शामिल किसानों के परिवारों के नाम ढूंढकर देने के लिए कहा है, जिसके बाद से पूरा गांव भूमि में दर्ज किसानों के परिवारों को ढूंढने में लगा हुआ है। गांव के एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जिनके नाम दर्ज थे, उनमें ज्यादातर लोगों की मृत्यु हो चुकी है, वहीं कुछ लोग गांव छोड़कर भी जा चुके हैं। इसके कारण उन किसानों के परिवार के नाम और पता ढूंढना पड़ रहा है।
इस किसान ने कराया पॉवर ऑफ अटॉर्नी निरस्त
गांव के कीर्तन साहू ने बताया कि भाठागांव में कुल 67 एकड़ चारागाह भूमि 173 किसानों के नाम पर दर्ज थी। रजिस्ट्री दस्तावेज में सबसे ऊपर रामानुज अग्रवाल, सरोज सोनकर, प्रेमलाल साहू एवं हेमंत ध्रुव के परिवार के नाम थे, जबकि अन्य किसानों के नाम नीचे अंकित थे। इन चारों किसानों ने दस्तावेजों में चढ़े बाकी सभी नाम गायब कराकर अपने नाम पर भूमि दर्ज करा ली थी। इसके बाद चारों किसान ने भूमि को बेचकर बड़ी रकम कमाने के लिए भू-माफिया से एग्रीमेंट कर लिया था। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने थाने में भी की थी। हालांकि चारों किसानों में प्रेमलाल साहू ने गांव वालों से बातचीत करने के बाद भू माफिया को दिया पॉवर ऑफ अटॉर्नी 11 जनवरी 2024 को पंजीयक दफ्तर से निरस्त करा लिया था। निरस्त कराने के बाद प्रेमलाल साहू ने कलेक्टर और राजस्व अधिकारी से माफिया के विरुद्ध शिकायत की थी कि उसने पॉवर ऑफ अटॉनी निरस्त करा दिया है। इसके बाद भी माफिया भूमि पर कब्जा किया हुआ है।
जिनके नाम गायब हैं, उनके नाम वापस जोड़ेंगे
रायपुर एसडीएम नंदकुमार चौबे ने बताया कि, तहसील में केस चल रहा है। 67 एकड़ भूमि में 173 किसानों के नाम पूर्व में दर्ज थे। इन किसानों के नाम गांव के लोगों से मांगा गया है। नाम मिलने पर सभी के नाम पुनः जोड़े जाएंगे।