सुरेश रावल / जगदलपुर। ओडिशा के मलकानगिरी से शुरू हुई गांजा की खेती अब वहां के 20 जिलों में होनी लगी है। कहा जा रहा है कि वहां अभी 50 हजार हेक्टेयर में गांजा उगाया जा रहा है। बताते हैं, यहां से देश के कई इलाकों में गांजा भेजा जा रहा है। इसका कारोबार संगठित उद्योग की तरह लगभग 600 करोड़ तक पहुंच चुका है। बस्तर आईजी ने भी माना कि ओडिशा में मुख्य रूप से मलकानगिरी क्षेत्र में गांजा की पैदावार की सूचना आती रही है और कई बड़ी खेप पुलिस ने पकड़ी है।

ओडिशा से गांजा बस्तर होकर ही उत्तरभारत भेजा जाता है। दो मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग जगदलपुर, सुकमा और जगदलपुर, बोरीगुमा गांजा तस्करी का प्रमुख मार्ग है। इसके अलावा ओडिशा से लगे हुए करपावंड के मार्ग से भी तस्करी होती है। इसकी बुआई जून-जुलाई में होती है और फसल दिसंबर-जनवरी में तैयार होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में गांजा की खेती होती है और वहां तक पुलिस का पहुंचना कठिन होता है। बताया गया है कि शासन प्रशासन एक तरह से गांजा की खेती को इसलिए भी नजरअंदाज करता है, क्योंकि इससे सुदूर अंचल के गरीब आदिवासियों को जहां रोजगार उनके पास नहीं है, उन्हें इस खेती से कमाई होती है। बताया तो यह भी जा रहा है कि बड़े-बड़े सेठ उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से ओडिशा के मुख्य शहरों में आकर गांजा की खेती के लिए फाइनेंस भी करते हैं। 

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 गांजा का प्रकरण तैयार

ओडिशा के चित्रकोंडा जो आंध्रप्रदेश सीमा का कटआफ एरिया है, वहां सबसे उत्तम क्वालिटी के गांजे की फसल तैयार होती है। मलकानगिरी, कोरापुट, व्यापारीगुड़ा, जैपुर, बोरीगुमा और नवरंगपुर जो छत्तीसगढ़ के बस्तर से लगे हुए ओडिशा के प्रमुख केंद्र है, वहां अंदरूनी इलाके से गांजा लाकर डंप किया जाता है। इन्हीं इलाके के कई सब्जी बाजार में सब्जी के साथ गांजा भर कर भी तस्कर पार करा देते हैं। सब्जी के नीचे गांजा होने से जांच चौकियों में इसका पता भी नहीं चल पाता। बस्तर के नगरनार, करपावंड, सुकमा, तोंगपाल, दरभा आदि थानों से गांजा पकड़ने की खबरें आती रहती है। लेकिन आज तक कोई बड़ा तस्कर पकड़ में नहीं आया है। ड्राइवर, कंडेक्टर और कोरियर ही आरोपी बनते हैं और उनके खिलाफ गांजा का प्रकरण तैयार किया जाता है। पुलिस के अधिकारी भी इन्हें ही गांजा तस्कर बनाकर कोर्ट में मामला पेश कर देते हैं।

चित्रकोंडा इलाके में सबसे उत्तम क्वालिटी का गांजा

30 साल पहले तक ओड़शिा के कालाहांड़ी इलाके में भूखमरी से गरीब आदिवासी मरते थे। अब ओडिशा कृषि और सिंचाई के मामले में काफी उन्नत प्रदेश बन गया है। विशेषकर नवीन पटनायक सरकार ने कृषि और सिंचाई को काफी बढ़ावा दिया। चित्रकोंडा इलाके के फुलपदर, सालपदर, हाथीपदर, राजलकोंडा जैसे कई इलाके में उत्तम श्रेणी के गांजा की फसल तैयार होती है। जहां कटाई के समय महिला श्रमिकों को भी काफी काम मिल जाता है। अब बस्तर से लगे ओडिशा के कई जिले में अच्छी खेती होने से समृद्धि की फसल लहलहा रही है। कहीं कोई भूखमरी से मौत का मामला कई सालों से सामने नहीं आ रहा है।

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एक पौधे में 3 से 4 किलो तक गांजा

ओडिशा के कुछ गांजा तस्करी के जानकार और बस्तर के कुछ रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों से चर्चा में पता चला है कि धान से लगभग सौ गुना अधिक मुनाफा वाला धंधा है गांजा की खेती करना, इसमें नुकसान कुछ भी नहीं है। पैदावार आसान है साथ ही कमाई भी काफी है इसलिए तेजी से इसकी पैदावार बढ़ी है। बताया गया कि एक पौधे 3 से 4 किलो तक गांजा निकलता है। 80 के दशक से शुरू हुआ ओडिशा में गांजे की खेती का कारोबार एक जिले से बढ़कर 20 जिलों तक पहुंच गया है। लग्जरी वाहनों के अलावा एम्बुलेंस और टैंकर तक में गांजा पकड़ाया है। कई बार तो लग्जरी वाहनों में मोडिफाईड चेम्बर बनाकर तस्करी करते पकड़ाए हैं।

उत्तर भारत समेत महानगरों तक खपत

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली तक ओड़शिा के गांजे की तस्करी होती है। जितनी ज्यादा दूरी बढ़ते जाती है गांजा का कीमत भी बढ़ता जाता है। महानगरों तक भी नशे के रूप में गांजा पहुंचने लगा है। रसूखदार इस धंधे में गरीब युवाओं को लालच देते हैं।

बस्तर में करोड़ों का गांजा जब्त

आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि इस साल अगस्त 2024 तक पूरे संभाग में गांजा के 77 मामले में 126 आरोपी पकड़ाए हैं। जिनसे 2829 किलोग्राम गांजा कीमत 2 करोड़ 70 लाख बरामद हुए हैं। पिछले साल 2023 में 160 प्रकरण में 258 आरोपियों से 4718 किलोग्राम गांजा कीमत 4 करोड़ 30 लाख तथा 2022 में 123 प्रकरण में 158 आरोपियों के पास से 6324 किलोग्राम गांजा कीमत 5 करोड़ 56 लाख बरामद किया गया है। सबसे ज्यादा गांजा की तस्करी बस्तर जिले से होती है और उसके बाद कोंडागांव और सुकमा जिला में आरोपी पकड़ाएं हैं। दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर में गांजे के मामले कम दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि ओड़शिा से सुकमा, बस्तर और कोंडागांव होकर तस्कर आगे निकलते हैं। इसलिए इन जिलों के अंतर्गत आने वाले थानों में गांजे के मामले अधिक दर्ज हैं।

ओडिशा से बस्तर

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि, मुख्य रूप से मलकानगिरी क्षेत्र में गांजा की पैदावार की सूचना है। जहां से तस्कर गांजा लाकर बस्तर से होकर उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में गांजा ले जाते हैं। मुखबिर से सूचना मिलने पर दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग के थानों में नाका लगाकर वाहनों की जांच करते हैं।