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बिलासपुर के ओंकार अस्पताल प्रबंधन ने सड़क हादसे में घायल युवक का 25 दिनों तक इलाज किया। लेकिन जब युवक की मौत हो गई हो तो उन्होंने शव को गिरवी रख दिया।

बिलासपुर। एक कहावत है कि, पैसों के बिना ना इंसान चैन से जी सकता है और ना ही चैन से मर सकता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि, एक बाप को अपने बेटे का शव लेने के लिए अपना घर गिरवी रखना पड़ा। फिर पैसे चुकाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने पांच घंटे बाद परिजनों को युवक का शव सौंपा। 

यह घटना है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की एक प्राइवेट अस्पताल में मानवता को शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है। जहां ओंकार अस्पताल प्रबंधन ने सड़क हादसे में घायल युवक का 25 दिनों तक इलाज किया। लेकिन जब युवक की मौत हो गई हो तो उन्होंने शव को गिरवी रख दिया। पांच घंटे बाद जब पिता ने अपने घर को गिरवी रखकर पैसे चुकाए तब जाकर अस्पताल प्रबंधन ने युवक की लाश को परिजनों को सौंपा।

पांच घंटे बंधक रहा शव 

मिली जानकारी के अनुसार, रतनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत भतरा पोंडी के युवक का एक्सीडेंट हो गया था। जिसे इलाज के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, 25 दिनों तक इलाज करने के बाद भी उसकी जान नहीं बची। अस्पताल ने इलाज के नाम पर 11 लाख का बिल परिजनों को थमा दिया। जिसमें से 93 हजार रुपये अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल जमा करने कहा। पैसे ना देने पर शव को पांच घंटे बंधक बना कर रखा। बेटे की मौत से परेशान पिता के सामने पहाड़ टूट पड़ा था। लेकिन पैसे चुकाने के लिए उसे अपना घर गिरवी रखना पड़ा। फिर वह 90 हजार लेकर अस्पताल पहुंचा तब जिगर के टुकड़े को साथ लेकर घर गया। 
6 जुलाई को युवक का हुआ एक्सीडेंट 

दरसअल, 19 वर्षीय सुरेश मिर्झा पिता नरेश मिर्झा रतनपुर भतरा पोंड़ी निवासी किसी काम के से 6 जुलाई को शाम 7.30 बजे अपने दोस्तों के साथ बाइक से पाली जा रहा था। रास्ते में उसकी बाइक गड्‌ढे में गिर गई। जिससे उसके दोस्त की मौत मौके पर ही हो गई और सुरेश को गंभीर चोटें आई थी। परिजनों ने उसे पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। चोट गंभीर होने के कारण सुरेश को 108 से बिलासपुर के लिए रिफर कर दिया गया। 

ऑपरेशन के नाम पर वसूले 2.75 लाख रुपये 

सुरेश के चाचा लक्ष्मण मिर्झा ने बताया कि, 108 उसे सेंदरी तक लाई और फिर उसे सरकारी एंबुलेंस से ओंकार हास्पिटल लाकर 7 जुलाई को एडमिट करा दिया गया। 7 जुलाई से एडमिट सुरेश का इलाज चलता रहा और तब डाक्टरों ने परिजनों को बताया कि हड्डी में समस्या है। 24 जुलाई को ऑपरेशन करना पड़ेगा। परिजनों से प्रबंधन ने आपरेशन के लिए 2.75 लाख रुपए जमा कराया। 24 जुलाई को सुरेश का ऑपरेशन नहीं हुआ और वह आगे की तारीखों में टलता रहा। 

पैसे लेने के बाद भी नहीं किया आपरेशन 

लेकिन जब परिजनों ने आपरेशन नहीं करने की जब वजह पूछी तब उन्हें बताया गया कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर छुट्टी पर हैं। उनके आने पर ही ऑपरेशन हो पाएगा। परिजनों का आरोप है कि हॉस्पिटल के डाक्टरों ने सुरेश का समय पर आपरेशन नहीं किया और इलाज के नाम पर सिर्फ पैसे जमा कराते रहे। परिजनों के अनुसार उन्होंने 7 जुलाई से 4 अगस्त तक किये इलाज में 11 लाख रुपए खर्च बताया है।

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