रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में पुलिस ने 75 लाख की ठगी मामले में छापेमारी कर 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से वारदात में प्रयुक्त 40 मोबाइल, 49 एटीएम, बैंक पासबुक और कैश जब्त किया है। रायगढ़ पुलिस की टीम ने कार्रवाई करते हुये इंटर स्टेट साइबर गिरोह के बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। एसपी दिव्यांग कुमार पटेल ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएसपी अभिनव उपाध्याय के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया। जिसके बाद रेड मार कर इन्हें गिरफ्तार किया गया। 

जब्त किया गया सामान 

मिली जानकारी के अनुसार, एक व्यवसायी ने थाने में आकर रिपोर्ट दर्ज करायी कि, करीब डेढ से दो माह पहले इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की डीलरशिप के लिए फेसबुक पर एक विज्ञापन देखा और दिए गए नंबर पर संपर्क किया। कॉलर ने खुद को कंपनी का कर्मचारी बताया और धीरे-धीरे पीड़ित से कई शुल्कों के नाम पर 75 लाख रुपये ठग लिए। जब डीलरशिप नहीं मिली और आरोपियों ने और पैसे की मांग की, तब व्यवसायी को ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने खरसिया थाना में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर लिया।

एसपी ने गठित की थी जांच टीम 

मामले की जांच के लिए एसपी दिव्यांग कुमार पटेल ने डीएसपी साइबर सेल अभिनव उपाध्याय के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया। घटना के 24 घंटे के अंदर इस 9 सदस्यीय टीम ने बिहार में कई स्थानों पर छापेमारी की और एक हफ़्ते चले इस लंबे ऑपरेशन में बैंक खातों की जांच, मोबाइल नंबरों के विश्लेषण और बैंक सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए।

ऐसे देते थे ठगी की वारदात को अंजाम 

खाता धारक जिनके नाम से फ्रॉड के पैसे मगवाने हेतु खाता खुलवाए जाते थे। जिनके द्वारा खाता धारक के आधार कार्ड में उनके वास्तविक पते को बदलकर फ़र्ज़ी पता दर्ज किया जाता था। जहां कलकत्ता पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से फ़र्ज़ी सिम लाकर उपलब्ध कराया जाता था। ताकि इन सिम कार्ड का प्रयोग फ्रॉड कॉलिंग एवं बैंक खाते में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के रूप में किया जा सके। जो फ्रॉड सिम एवं फ्रॉड एड्रेस के आधार पर विभिन्न बैंकों में उनका खाता खुलवाया जाता था और फिर ATM कार्ड और अन्य दस्तावेजों को फ़र्ज़ी एड्रेस पर डिलीवर करवा लिया जाता था।

खातों से पैसे निकालकर दिए जाते थे सरग़ना को

फिर सभी फ़र्ज़ी खाता धारकों का एटीएम, पासबुक चेक बुक आदि प्राप्त किया जाता था। फिर फ्रॉड पैसे खाते में आने पर तुरंत पैसों का आहरण करके मुख्य सरग़ना को दिया जाता था। जो प्रतिदिन फ्रॉड कॉलिंग करने वालों को उपलब्ध अकाउंट की जानकारी देते थे। ताकि, उसमें प्रार्थी को ठगकर उसके पैसे मंगाए जा सके। मुख्य कॉलिंग टीम जो फ़र्ज़ी नंबरों का प्रयोग कर प्रार्थी को कॉल कर ठगी को अंजाम देते थे और पैसा आने पर नीचे के सभी लेयर्स को यथोचित कमीशन बाटते थे।