घनश्याम सोनी- बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में पण्डो जनजाति के पांच ग्रामीणों की मौत हो गई। ग्रामीणों की मौत खून की कमी, बुखार और टीबी बीमारी के कारण हुई है। वहीं दो महिलाओं ने प्रसव के दौरान दम तोड़ दिया। समाज के प्रमुख ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए संभाग आयुक्त को पत्र लिखकर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है।

दरअसल यह पूरा मामला रामचंद्रपुर विकासखंड है। जहां के रामचंद्रपुर गाँव में 12 दिनों के भीतर ही पण्डो जनजाति के लोगों की मौत हो गई। मिली जानकारी के अनुसार इन ग्रामीणों की मौत बुखार, खून की कमी और टीबी बीमारी के चलते हुई है। जबकि दो महिलाओं ने प्रसव पीड़ा के समय दम तोड़ दिया। वहीं अब इस पूरे  मामले पर समाज प्रमुख ने संभाग आयुक्त को पत्र लिखकर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है।

यहां देखें पत्र  

प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत 

गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के समय 24 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एलएससीएस आपरेशन के बाद जच्चा-बच्चा दोनों का मौत हो गई। इस मामले में समाज के लोगों ने लापरवाही का आरोप लगाया है। जांच की मांग करते हुए पत्र लिखा गया की जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के कारण मौत हुई है। वहीं कलावती पंडो गर्भवती थी को 31 जुलाई को प्रसव पीड़ा होने के बाद एंबुलेंस को कॉल किया गया। एंबुलेंस सेवा नहीं मिलने पर मरीज के परिजन प्राईवेट वाहन से महिला को अस्पताल लेकर सनावल सरकारी अस्पताल पहुंचे। वहां 1 घंटे के बाद वाड्रफनगर अस्पताल के लिए रेफर किया गया था। जहां पर जच्चा-बच्चा दोनों का मौत हो गई। 

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समाज प्रमुख ने की जांच की मांग 

समाज के प्रमुख ने संभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर मामले के जांच की मांग की है। पत्र में लिखा गया है की विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो के पांच सदस्यों की मौत हो गई है। वर्तमान में पण्डो जनजाति के विकास के लिए जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री के द्वारा 11 सूत्रीय योजना चलाई जा रही है। जिसके तहत जन-जागरूकता कार्यक्रम, स्वास्थ्य शिविर में गांवों का सर्वे किया गया है। इन योजनाओं के संचालित होने के बाद भी बुखार, टीबी और खून की कमी से लोगों की मौत हो रही है। योजनाओं को केवल कागजों में समेटकर देखा जा रहा है। धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। जिसके कारण पण्डो जनजाति के लोगों की मौत हो रही है।