अक्षय साहू- राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के के आर के नगर में नगर निगम आयुक्त आवास के सामने लाखों की लागत से बना पार्क दुर्दशा के आंसू बहा रहा है। शहरवासी सुबह-शाम दो पल सुकून के बिताने के लिए पार्कों में जाते हैं, लेकिन यहां पार्क पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। पार्क के मेंटेनेंस के लिए साल में लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बाद भी पार्क उजड़ चुका है। टूटे झूले, उखड़ी टाइल्स, चारों ओर गंदगी।
हालत ये है कि, अब यहां लोगों ने जाना ही बंद कर दिया है। इसे देखकर कहा जा सकता है कि ‘दिया तले अंधेरा’ वाली कहावत यहां पर सटीक बैठती है, जिस नगर निगम आयुक्त के कंधों पर पूरे नगर निगम क्षेत्र के उद्यानों का जिम्मा है, उनके आवास के सामने स्थित पार्क की ही ऐसी दुर्दशा बनी हुई है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे नगर निगम क्षेत्र के उद्यानों की क्या स्थिति होगी।

कमिश्नर के आवास के सामने का पार्क ही अव्यवस्थित
नगर निगम कमिश्नर के आवास के सामने स्थित इस उद्यान में जगह-जगह गन्दगी पसरी हुई है। झूले टूटे हुए हैं, लाइट्स पूरी तरह खराब हो चुकी है, पार्क से टाइल्स तक उखड़ चुके हैं, डस्टबिन गायब हो चुका है, पार्क में बनाई गई संरचनाएं टूट-फूट चुकी हैं।
सौंदर्यकरण के लिए जारी पैसों का हो रहा दुरुपयोग
राजनांदगांव में शहर सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है, लेकिन यहां के अधिकारी जनता के पैसों का दुरुपयोग कर शासन को चूना लगाने का काम कर रहे हैं। नगर निगम प्रशासन के द्वारा लगातार उद्यानों के निरीक्षण के दावे किए जाते रहे हैं, इसके बावजूद उद्यानों की ये दुर्दशा बड़े सवाल खड़े करता है।
जिम्मेदारों की बड़ी लापरवाही
कुछ समय पहले पार्क में यह सब कुछ हुआ करता था। सुबह-शाम आम लोग ही नहीं अधिकारी वर्ग के लोग भी यहां व्यायाम और टहलने के लिए आते थे। पार्क खेलते हुए बच्चों से भरा रहता था। पार्क में लगे फव्वारे लोगों को आकर्षित करते थे। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण पार्क बदहाली की ओर बढ़ता चला गया, जिसका नतीजा आज पार्क की दुर्दशा हो चुकी है।
बच्चों को पार्क में भेजने से परिजन भी डर रहे हैं
इस पार्क में दोपहर के समय शहरवासी बैठकर आराम कर लेते थे, बच्चे खेलने आया करते थे, लेकिन बदहाल व्यवस्था के कारण बच्चे भी अब इस पार्क में जाने से कतराते हैं। अभिभावक भी अपने बच्चों को इस पार्क में भेजने से डरते हैं, कि कहीं टूटे हुए झूलों, उबड़ खाबड़ जमीन, पार्क में फैली गंदगी और उखड़े हुए टाइल्स से उन्हें चोट न लग जाए।
करोड़ों खर्च होने के बाद भी पार्कों के हाल नहीं सुधरे
पार्कों के रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद पार्क बदहाल हो गए हैं। पार्कों में फव्वारे, बेंच टूटे हुए और कई जगह पर फुटपाथ भी उखड़ गए हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर लग चुके हैं। पार्कों की नियमित रूप से सफाई नहीं की जा रही है। बाउंड्री कहीं-कहीं से टूटी हुई और लाइटों की भी उचित व्यवस्था नहीं है। इससे स्पष्ट है कि, रखरखाव राशि का बजट तो निगम से लिया जा रहा है, लेकिन इसका उपयोग पार्कों के लिए नहीं किया जा रहा।