रायपुर। विभिन्न तरह के जटिल हृदय रोग से पीड़ितों को आंबेडकर अस्पताल के हार्ट चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग में नई जिंदगी मिली है। सालभर में यहां के डॉक्टरों ने 295 सफल ऑपरेशन किए, जिसमें से कई तो राज्य में पहली बार पूरे गए हैं। इस विभाग में इस साल 74 ओपन हार्ट, 80 फेफड़े और छाती तथा 141 खून की नसों से संबंधित सर्जरी की गई है। शासकीय मेडिकल कालेज रायपुर से संबंधित आंबेडकर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि वर्ष 2017 में विभाग का गठन हुआ था। और अब तक यहां की चिकित्सकीय टीम की मदद से 1250 जटिल सर्जरी को पूरा किया गया है, जिसमें 197 ओपन हार्ट सर्जरी भी शामिल है।
इस साल किए गए 74 ओपन हार्ट सर्जरी में जन्मजात हृदय रोग, मल्टीपल वॉल्व रिप्लेसमेंट एवं रिपेयर, हार्ट अटैक के बाद दिल में हुए छेद, छाती एवं फेफड़ों की सर्जरी में कैंसर ट्यूमर सहित विभिन्न समस्याओं तथा खून की नसों के आपरेशन में बायपास, वैस्कुलर ट्यूमर, ट्रामा सहित विभिन्न जटिलताओं को दूर किया गया है। विभागाध्यक्ष डॉ. साहू के मुताबिकअस्पताल के विभिन्न विभागाध्यक्षों और अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम की मदद से सीटीवीएस विभाग शासकीय संस्थान के प्रति लोगों का विश्वास बनाए रखा है।
इन सर्जरी की रही चर्चा
मध्य भारत में पहली बार सूचरलेस (टांका रहित) एओर्टिक वाल्व प्रत्यारोपण। हार्ट अटैक के बाद दिल में हुआ छेद 59 दिन आईसीयू में रखकर एक फीसदी चांस पर विश्वास कर सफल सर्जरी। दुर्लभ जन्मजात होने वाली एब्सटिन एनामली नामक बीमारी का सबसे अधिक सर्जरी करने वाला संस्थान। चूने के पत्थर जैसे कठोर हृदय में माइट्रल वाल्व एवं ट्राइकस्पिड वाल्व का प्रत्यारोपण। हादसे में पसली टूटने पर टाइटेनियम की नई पसली बनाकर मरीज की बचाई गई जान।
स्टाफ की कमी की चुनौती भी
सीटीवीएस विभाग ने सीमित संसाधन के माध्यम से कई दुर्लभ सर्जरी को पूरा किया है, मगर वह स्टाफ की चुनौतियों से काफी समय से जूझ रहा है। कार्डियक एनेस्थिटिक के अभाव में यहां आने वाले ओपन हार्ट सर्जरी के जरूरतमंद मरीजों को लौटाया जा रहा है। वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने की वजह से कई बार तैयारी के बाद ऑपरेशन को कैंसिल करना पड़ रहा है। करीब एक माह में यहां दर्जनभर मरीजों की सर्जरी टालनी पड़ गई है। इसके अलावा हृदय से संबंधित विभिन्न उपचार की प्रक्रिया भी बुरी तरह प्रभावित होने लगी है।