कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में कसडोल विकासखंड के अंतिम छोर पर बसे वनांचल ग्राम बल्दाकछार निवासी 76 वर्षीय चंदा बाई कमार और उनके पति मंगल सिंह कमार का जीवन काफी संघर्षमय रहा। पक्का मकान तो उनके लिए एक सपने की तरह था, लेकिन पीएम जन मन आवास योजना से आज उनका खुद का पक्का मकान बन गया है। वे कहते हैं कि, उनके संघर्षपूर्ण जीवन का अंत और दो पीढ़ियों का सपना आज पीएम जनमन आवास योजना से पूरी हुई है।

जिंदगी भर मजदूरी करके जैसे-तैसे अपनी जिंदगी का गुज़ारा करने वाले इस दंपत्ति के पास इतने साधन नहीं थे कि, वे खुद का पक्का मकान बना सकें। बरसों से झोपड़ी में रहते हुए उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे। एक सपना हमेशा उनके दिल में जिंदा था, अपने पक्के मकान का सपना। हालांकि वक्त ने एक नया मोड़ तब लिया जब पीएम जनमन आवास योजना के तहत उन्हें अपना पक्का मकान बनाने का मौका मिला। चंदा बाई और उनके पति के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं थी। अब वे एक सुरक्षित और पक्के घर में रहने का सपना पूरा होते देख पा रहे हैं। चंदा बाई कहती हैं- "हमने कभी सोचा भी नहीं था कि, इस उम्र में हम अपना खुद का मकान देख सकेंगे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हमारा सपना सच कर दिखाया है। 

बहू का परिवार भी हुआ लाभान्वित
 
श्रीमती चंदा बाई कमार की बहू श्रीमती बुधार बाई कमार ने दो साल पहले किशुन लाल से शादी की थी। हालांकि कुछ समय बाद वे अलग होकर अपने परिवार के साथ रहने लगीं। बुधार बाई और उनके पति बांस से झाडू,टुकना, सूपा आदि बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। उनके दो बच्चे हैं बेटी बबली जो कक्षा 7वीं में पढ़ रही है और बेटा शिवम जो अभी सिर्फ एक साल का है। बुधार बाई का परिवार भी पीएम जनमन आवास योजना से लाभांवित हुआ है। इस योजना के तहत उन्हें भी पक्का मकान मिला। जिससे उनका जीवन अब और अधिक खुशहाल हो गया। अब बुधार बाई अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित और सुंदर घर में रहती हैं। वह कहती हैं "इस योजना ने हमें न सिर्फ छत दी बल्कि हमारे जीवन में स्थिरता और सम्मान भी दिया।"

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दो पीढ़ियों का सपना हुआ पूरा

चंदा बाई और बुधार बाई दोनों की कहानी यह साबित करती है कि, पीएम जनमन आवास योजना ने केवल मकान ही नहीं बल्कि उनके जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और सम्मान भी लाया है। सास और बहू दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि, उनके सपनो को हकीकत में बदलने में यह योजना मील का पत्थर साबित हुई है। चंदा बाई ने गर्व के साथ कहा, इस उम्र में अपने खुद के घर में रहना हमारे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है, हमे दो पीढ़ी बाद पक्का घर मिला। वहीं बुधार बाई ने कहा यह योजना हमारे बच्चों के भविष्य के लिए भी एक मजबूत नींव है।