मैनपुर। भीषण गर्मी के कारण तालाब, नदियां और अन्य जल स्त्रोत सूखने की कगार पर है। हालत यह है कि गरियाबंद के मैनपुर इलाके में करीब 60 प्रतिशत तालाब सूख चुके हैं। विभागीय अफसरों का कहना है कि मनरेगा के तहत यहां 74 करोड़ से अधिक की लागत से 420 तालाब का निर्माण किया गया, लेकिन इसमें पानी कहां से आएगा, इसके लिए कोई योजना ही नहीं बनाई गई। वहीं, वन विभाग के अफसरों का कहना है कि तालाब, नदियों के सूखने की वजह से वन्य प्राणी गांव की तरफ आ रहे हैं। इसके कारण मानव-वन्यप्राणी द्वंद्व की आशंका भी बढ़ गई है। इस वर्ष भीषण गर्मी में तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर सहित विकासखण्ड क्षेत्र के 100 से ज्यादा ग्रामों में इन दिनों निस्तारी जल को लेकर बेहद विकराल समस्या उत्पन्न हो गई है। पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है।

मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में नहर नाली एवं ट्यूबवेल की सुविधाएं नहीं होने के कारण गर्मी के दिनों में तालाब तेजी से सूख रहे हैं, लेकिन तालाबों को पानी से भरने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है और तो और शासन प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कार्य योजना भी नहीं बनाया गया है। वन्य प्राणियों एवं पालतू मवेशियों को भी तालाबों से पानी नहीं मिल रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण अधिकांश तालाबों का पानी सूख चुका है। तहसील मुख्यालय मैनपुर सहित आसपास के अंचलों में तेजी से गिरते जल स्तर से लोगों में जल संकट की समस्या गहराने लगा है।

यहां बचा महज 10 प्रतिशत पानी 

जाड़ापदर, देहारगुड़ा, भाठीगढ़ छुईया, गोपालपुर, कुल्हाड़ीघाट, शोभा, गोना, करेली, ढोलसराई, रक्शापथरा, कुशियारबरछा, मोतीपानी, भुतबेड़ा, गरीबा, कुचेंगा, कोकड़ी, बरगांव, गौरगांव, लाटापारा, गरहाडीह, इंदागांव, कोयबा, बरगांव, जांगड़ा, जुगांड़, डुमरपड़ाव, अमाड़, जुगाड़, तौरेगा, कोदोमाली, दबनई, छिन्दौला, लूठापारा, कंवरआमा, नारीपानी, तुहामेटा, गंगाजमुना, नवमुड़ा, चलकीपारा, चिहरापारा, सिंहार, बुड़ार, साहेबिनकछार, बुड़गेलटप्पा सहित दर्जनों ग्राम पंचायतों के आश्रित ग्रामों में सूख रहे जल स्त्रोतों के कारण निस्तारी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है। । इन ग्रामों में अधिकांश तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं, कई तालाबों में महज 10 प्रतिशत मंदा मटमैला पानी ही बचा हुआ है।

7 साल में खर्च कर दिए 75 करोड़

 जल संरक्षण के लिए हर वर्ष जनपद व विभिन्न योजनाओं के तहत क्षेत्र में करोड़ों रुपए की लागत से जगह जगह तालाबों का निर्माण किया जाता है। सिर्फ मनरेगा योजना के तहत मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में 7-8 वर्षों में तालाब निर्माण के लिए 75 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा खर्च किया गया है, लेकिन इन तालाबों में कहीं कहीं तो बूंद भर पानी नहीं है। मैनपुर जनपद से मिली जानकारी के अनुसार मनरेगा योजना के तहत 2021-22 से 2023-24 तक कुल 420 तालाब निर्माण के लिए 17 करोड़ 45 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किया गया है, लेकिन अधिकांश तालाब सूख चूके है।

हैंडपंप भी हो गए खराब

ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब ही निस्तारी की समस्या को पूरा कर पाता है, ऐसे में तालाबों में जलभराव व निस्तारी की समस्या के लिए वैकल्पिक उपाय नहीं किया गया, तो ग्रामीणों के समक्ष विकट परिस्थिति उत्पन्न होगी। मैनपुर क्षेत्र में सिंचाई का साधन नहीं है। जिससे सूख चूके तालाबों में पानी भरा जा सके, पहले इंदरा गांव गंगा योजना के तहत गांवों तालाबों को पानी भरने के लिए तालाबों के किनारे ट्यूबवेल लगाया गया था, लेकिन अब यह सभी तालाबों में बंद पड़ा हुआ है। मैनपुर में 40-50 ग्रामों के तालाब को भरने हैंडपंप बहुत पहले लगाया गया था, जो पूरी तरह बंद है।

क्या कहते हैं अधिकारी

जनपद पंचायत मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी रमेश कंवर ने बताया तालाब निर्माण से पहले स्थल चयन किया जाता है। मैनपुर क्षेत्र में मेरे आने के बाद 2021-22 से 2023-24 तक 420 तालाब, डबरी का निर्माण कार्य किया गया है। जिसकी लागत 17 करोड़ 45 लाख रुपए से ज्यादा है। तालाब निर्माण के बाद इसमें पानी भरने के लिए कोई योजना नहीं है।

गांव के आसपास आ रहे वन्य प्राणी

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन ने बताया कि, निश्चित रूप से तेज धूप और गर्मी से जंगल के भीतर अधिकांश नदी नाले और तालाब सूख चुके है। गर्मी के दिनों में तालाब पोखर नदी नाले सूखने के कारण वन्य प्राणी गांव के आसपास आ रहे हैं। उदंती अभ्यारण में नदी में कई स्थानों पर झरिया खुवई किया गया है, जिससे वन्य प्राणियों को पानी उपलब्ध हो पाये अन्य क्षेत्र के जंगलों में भी झरिया खुदाई किया जाना चाहिए।