श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। छत्तीसगढ़ के राजिम में 72 साल बाद सावन में इस बार दुर्लभ संयोग बन रहा है। जब सावन की शुरुआत सोमवार से हो रहा है और समापन भी सोमवार को ही होगा। मतलब इस बार सावन में कुल पांच सोमवार पड़ रहे हैं। जिनमें 22 से 29 जुलाई और 5,12 और 19 अगस्त है। सावन के एक दिन पहले अर्थात 21 जुलाई रविवार को गुरूपूर्णिमा है और आखिरी सोमवार 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन है। वहीं सावन में पड़ने वाले त्योहार की बात करे तो 2 अगस्त को सावन शिवरात्रि, 7 अगस्त को हरेली, 9 अगस्त को नागपंचमी और 19 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार है। इस बार सावन 29 दिनों का होगा।
एक साथ बन रहे हैं कई शुभ योग
विद्वान पंडितो की मानें तो पहला सोमवार को प्रीतियोग, आयुष्मान योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति की बात करें तो कई राज योगों का भी निर्माण हो रहा है। सावन के दौरान शुक्रादित्य, बुधादित्य, नवपंचम योग, गजकेसरी योग, कुबेर योग और शश योग जैसे राजयोग बन रहे है। भोलेनाथ का व्रत रख कर विधि विधान से मंत्रोच्चारण के बीच अभिषेक, दुग्धाभिषेक और पंचामृत अभिषेक करने वालों की मनोकामना पूरी होगी। मान्यता है कि, सावन भोलेनाथ का प्रिय महिना है। व्रत, उपवास, अभिषेक और पूजा करने वालो के लिए भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते है। पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ कई भक्त सावन में पूरे महिने धूमधाम से पूजा करते हुए भोलेनाथ को रिझाने के लिए शिवालय में पहुंचते है। अधिकतर महिलाएं और युवतियां पांच सोमवार का व्रत रखकर भोलेनाथ को प्रसन्न करते है तो लाखों की संख्या में शिवभक्त कलश में जल भरकर बोलबम का जयकारे करते हुए नंगे पैर सैकड़ो किमी पैदल चलते हुए भोलेनाथ के प्रसिद्ध दरबार में जल चढ़ाने जाते है।
100 किमी के दायरे में पंचकोशी यात्रा का महत्व
राजिम धार्मिक दृष्टिकोण से एक पवित्र भूमि कहलाता है। यहां जो कुलेश्वर महादेव का मंदिर है, वह तीन नदियों के बीच है। इस मंदिर में माता सीता ने शिव लिंग की स्थापना की है जो जग प्रसिद्ध है। भोलेनाथ के इस मंदिर में सावन के पूरे तीसों दिन लाखो की संख्या में दर्शन और पूजा के लिए भक्त पहुंचते है। महाशिवरात्रि के दिन तड़के 4 बजे से आधी रात के बाद तक एक ही दिन में पांच लाख से अधिक शिवभक्त धक्का- मुक्की और रेलमपेल भीड़ के बीच दर्शन करते है। भक्तों में शिवजी के प्रति अगाध श्रद्धा भक्ति है। राजिम के इस सुप्रसिद्ध मंदिर के साथ ही 100 किमी के दायरे में पंचकोशी यात्रा का भी महत्व है। पांच-पांच कोश के अंतर में पांच शिव मंदिर है। जहां 12 जनवरी से 16 जनवरी तक श्रद्धालु पैदल ही चलते हुए दर्शन करते है।
दोनों शहरों में होता है सहस्त्र जलधाराभिषेक
सावन को लेकर इस बार शिवभक्तो में जमकर उत्साह का वातावरण राजिम और नवापारा शहर सहित पूरे आस-पास के सौ गांव में देखा जा रहा है। शिव मंदिरो की सजावट शुरू हो गई है। तोरण पताके लगाने की तैयारी की जा रही है। कांवड़िये कलश में जल भर कर मंदिर तक पहुंचने का प्लान कर रहे है। अनेको संगठन के लोग जल चढ़ाने आने-जाने वाले कांवड़ियो के लिए चाय, नाश्ता का इंतजाम के लिए रूपरेखा बना रहे है। भंडारे का भी आयोजन करने की तैयारी चल रही है। बता दें कि राजिम के बाबा गरीबनाथ महादेव मंदिर एवं नवापारा के श्रीराधाकृष्ण मंदिर में सहस्त्रजलधाराभिषेक होगा। सहस्त्रजलधाराभिषेक के लिए सीधे महानदी से बाल्टियो में जल लेकर मंदिर तक पहुंचाया जाता है और इसी जल से ही पंडितो के मंत्रोच्चारण के बीच अभिषेक होता है। पूरे सावन भर राजिम और नवापारा में शिवजी के भक्ति के गीत से पूरा शहर गूंजता रहता है।