रायपुर। जेल में बंदियों को जेल से छूटने के बाद स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत माली का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। माली का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बंदियों की इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय लिखित के साथ प्रैक्टिकल परीक्षा आयोजित करेगा। परीक्षा में पास होने वाले बंदियों को भारतीय कृषि कौशल परिषद दिल्ली कौशल प्रमाणपत्र जारी करेगी। बंदियों को कृषि विश्वविद्यालय तथा राज्य के 27 जिलों में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट प्रशिक्षण देंगे।
रायपुर सेंट्रल जेल सुपरिटेंडेंट अमित शांडिल्य के मुताबिक जेल में बंदियों को रोजगार उपलब्ध हो सके, इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत उद्यानिकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बंदियों को 25 दिनों तक पांच से छह घंटे प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बंदियों की कृषि विश्व विद्यालय लिखित के साथ प्रैक्टिकल परीक्षा लेगा। परीक्षा पास करने वाले बंदियों को प्रमाणपत्र भी जारी किया जाएगा।
25 के समूह में प्रशिक्षण
जारी आदेश के मुताबिक राज्य की सभी जेलों में 25-25 के समूह में बंदियों को उद्यानिकी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें बंदियों को पौधों के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही उन्हें नर्सरी की ट्रेनिंग के साथ ही गार्डनिंग के बारे में जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण के इच्छुक बंदी जेल प्रशासन के पास अवेदन देकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक राज्य की ज्यादातर जेलों में कम सजा पाने वाले बंदियों ने माली का प्रशिक्षण पाने आवेदन पेश किया है।
नियमित चलेगा प्रशिक्षण का कार्य
जेल में बंदियों को प्रशिक्षण देने का कार्य इसी वर्ष जून में शुरू किया गया है। जेल में जिन बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उनका बैच समाप्त होने तथा रिजल्ट जारी होने के बाद नए बंदियों को माली का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस तरह से बंदियों को माली का प्रशिक्षण देने का कार्य नियमित जारी रहेगा।
जेल में गार्डनिंग करने में मदद मिलेगी
जेल में बंदियों को माली का प्रशिक्षण देने से जेल में गार्डनिंग को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से बंदियों को जेल से बाहर अन्य जगहों पर ले जाकर माली का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मिलेगी नौकरी में प्राथमिकता
माली का प्रशिक्षण देने का उद्देश्य बंदियों के जेल से छूटने के बाद उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ना है। जेल अफसरों के मुताबिक माली का प्रशिक्षण पाने वाले बंदियों को सरकारी माली बनने प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बंदी अपना स्वयं का नर्सरी का काम कर सकते हैं या फिर निजी क्षेत्र में माली का काम कर सकते हैं।