रायपुर। विवाद में रहने वाले छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग का दामन सिविल जज भर्ती परीक्षा में नहीं बच पाया। हालांकि इस बार विवाद अनोखे तरीके का है। इसकी चयन सूची पीएससी ने कुछ दिनों पूर्व जारी की थी। अब यह चयन सूची नामों के आगे उल्लेखित जाति को लेकर वायरल हो रही है। दरअसल इस सूची में शर्मा, चतुर्वेदी और परमार उपनाम अर्थात सरनेम वाले कैंडिडेट्स के नाम के आगे एससी लिखा हुआ है। वहीं अग्रवाल नाम वाले अभ्यर्थियों को ओबीसी कैटेगरी में रख दिया गया है।

हालांकि पीएससी चेयरमैन ने हरिभूमि से चर्चा में इस विवाद को खत्म किया। कहा कि सब नियमानुसार है। जो सरनेम की गलतफहमी है वे विवाद के बाद पति का नाम लगाने से पैदा हुआ है। हमने दस्तावेजों की जांच के बाद ही परिणाम घोषित किए हैं। पीएससी ने सिविल जज के 48 पदों के लिए यह परीक्षा आयोजित की थी। इसके लिए मुख्य परीक्षा 27 जून 2023 को आयोजित की गई थी। इसके परिणाम 17 अगस्त को ही जारी कर दिए गए थे, लेकिन आरक्षण संबंधित विवाद के कारण साक्षात्कार नहीं लिए जा सके। मौजूदा वर्ष में 2 से 5 जनवरी और 8 से 11 जनवरी तक साक्षात्कार लिए गए। साक्षात्कार पूर्ण होने के साथ ही परिणाम जारी कर दिए गए। लिखित परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर 152 कैंडिडेट्स का चयन साक्षात्कार के लिए किया गया था। इंटरव्यू में प्राप्त अंकों के आधार पर इन 152 कैंडिडेट्स के परिणाम जारी किए गए, जो अब वायरल है।

पीएससी ने कहा, जांच प्रारंभ से ही

वहीं पीएससी ने इसे पूरी तरह से सही ठहराया है। पीएससी के एक उच्च अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जो भी कैंडिडेट्स परीक्षा में शामिल होते हैं, उनकी जाति सहित अन्य तरह की जांच प्रारंभिक परीक्षा के दौरान ही कर ली जाती है। लिस्ट में जिस अभ्यर्थी के नाम के आगे जिस जाति का जिक्र है, वह सही है। यदि किसी को कोई आपत्ति है, है, तो वे आरटीई लगा सकते हैं। आयोग द्वारा पूरी जानकारी विस्तारपूर्वक तथ्यों के साथ दी जाएगी। वायरल सूची के अनुसार, पंकज शर्मा, सर्विका चतुर्वेदी और रंभा परमार को एससी वर्ग में रखा गया है। वहीं पूजा अग्रवाल को ओबीसी कैटेगरी में रखा गया है, जबकि उक्त उपनाम वाली जातियां सामान्य वर्ग के अंतर्गत गिनी जाती हैं। इसी वजह से सूची वायरल हो गई और लोग चयन सूची पर सवाल उठाने लगे।

ऐसा दो वजहों से

पीएससी के एक अन्य अधिकारी ने बताया, इस तरह की स्थिति दो वजहों से निर्मित होती है। प्रथम यदि किसी महिला द्वारा दूसरी जाति में विवाद किया गया है तो वह सरनेम अपने पति का लिख सकती है, लेकिन जाति पिता की ही मान्य होगी। द्वितीय स्थिति दूसरे राज्य के कैंडिडेट्स के कारण निर्मित होती है। कई जातियां ऐसी हैं, जो हमारे यहां सामान्य वर्ग में आती हैं, लेकिन दूसरे राज्य में उन्हीं जातियों को अन्य वर्गों में रखा जाता है। ऐसे में उस राज्य द्वारा प्रदान किए गए जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ही अभ्यर्थी की जाति तय होती है।