श्याम करकू- बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में के पुसबाक प्राथमिक शाला के हेड मास्टर बिना स्कूल गए 6 महीने की पगार तनख्वाह ले ली। इस मामले मे संबंधित बीईओ और संकुल समन्वयक के बयान विरोधाभाषी होने से उसूर ब्लॉक की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, प्राथमिक शाला पुसबाका के हेड मास्टर पन्दमपल्ली रामकृष्णा 6 महीने पहले आदिवासी विकास विभाग में प्रभारी मंडल संयोजक उसूर के पद पर काबिज थे। सत्ता बदलने के साथ मंडल संयोजक की कुर्सी भी बदल गई। लेकिन आदेश के बाद भी उन्होंने वापस मूल संस्था में जाना जरूरी नहीं समझा और 18 जनवरी के बाद स्कूल की चौखट पर कदम नहीं रखा। इस मामले की पड़ताल करने पर पता चला कि, जनवरी 2024 में भारमुक्त होने के बाद पंदम्पल्ली रामकृष्णा ब्लॉक मुख्यालय में अधिकारियों के साथ घूमते रहे और बिना स्कूल में हाज़िरी दिये तनख्वाह लेते रहे।
वर्तमान मंड़ल संयोजक ने लगाए उगाही के आरोप
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब उसूर ब्लॉक के अधीक्षकों ने वर्तमान प्रभारी मंडल संयोजक को हटाने के लिए मोर्चा खोल दिया। इस विवाद में वर्तमान और पूर्व मंडल संयोजक के दो गुट बन गये जो एक दूसरे की करतूत उजागर करने लगे। दोनों ही शिक्षकों के राजनैतिक पक्ष से जुड़े होने की वजह से मामला पेचीदा बन गया है। वर्तमान मंड़ल संयोजक राम प्रसाद सारके पर अधीक्षकों ने पैसे की उगाही का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग सहायक आयुक्त और जिला पंचायत सदस्य से की है। इस बात की जांच होने से पहले नया खुलासा सामने आ गया जिसमें बगैर हाज़िरी के तनख्वाह लेने के गंभीर आरोप पूर्व मंडल संयोजक रामकृष्णा पर लग रहे हैं।
बीईओ और सीएसी के अलग- अलग
इस मामले को लेकर बीईओ संतोष गुप्ता ने कहा कि, संबंधित व्यक्ति ड्यूटी कर रहा है और पे डाटा में उपस्थिति के आधार पर वेतन भुगतान किया जाता है. वही दूसरी ओर संकुल समन्वयक रामबाबू बिराबोइना ने कहा कि, राम कृष्णा मंडल संयोजक से भारमुक्त होने के बाद न तो स्कूल मे कार्यभार ग्रहण किया और न ही आज तक उपस्थित हुए हैं। मेरे द्वारा पे डाटा में उनकी उपस्थिति की कोई जानकरी नही है।