रायपुर- कांग्रेस सरकार ने क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए बिना विधानसभा में आरक्षण विधेयक पारित करवा दिया था। इसी मामले को लेकर सदन में सवाल खड़े कर दिए गए हैं। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सीएम से पूछा कि, क्या आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी ? इसका जवाब देते हुए सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि, इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा। 

सदन में अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सवाल किया कि, क्वांटिफायबल डाटा आयोग कब और किन उद्देश्यों से गठित किया गया?  उसका कार्यकाल कितनी अवधि का था? उसके कार्यकाल को कितनी बार बढ़ाया गया और अंतिम बार कितनी अवधि के लिए कब तक बढ़ाया गया? इसकी रिपार्ट राज्य सरकार को कब सौंपी गई? किन-किन संस्थाओं को देनी थी? इसके चेयरमेन और सदस्य कौन-कौन थे। साथ ही पूछा कि, इनको क्या-क्या सुविधायें दी गयी और कितनी राशि व्यय की गयी ?

किन-किन क्षेत्रों में किया गया उपयोग

अजय चंद्राकर ने विधानसभा में सवाल करते हुए पूछा कि, क्वांटिफायबल डाटा आयोग ने क्या-क्या अनुशंसाएं दीं? क्या उन अनुशंसाओं का उपयोग राज्य सरकार ने कर लिया है? अगर कर रही है तो इनका उपयोग किन-किन क्षेत्रों में कर रही है? अगर नहीं कर रही है तो इस आयोग का गठन क्यों किया गया है?

क्या डाटा को सार्वजनिक किया गया था ?

अजय चंद्राकर ने कहा कि, क्या उक्त डाटा को सार्वजनिक किया गया था?  अगर ऐसा नहीं किया गया तो उसका कारण क्या था। साथ ही पूछा कि, उनकी अनुशंसाओं को सरकार ने स्वीकार कर लागू किया गया है?  अगर हां,  तो सरकार इनका उपयोग किन-किन क्षेत्रों में, किन-किन कार्यों के लिये कर रही है? अगर नहीं कर रही क्यों नहीं कर रही है। 

क्वांटिफायबल डाटा एकत्रित किया जाना था- सीएम साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मुद्दों के जवाब देते हुए कहा कि, क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन सामान्य प्रशासन विभाग ने 11 सितंबर 2019 को किया था। इसका उद्देश्य राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण करके क्वांटिफायबल डाटा एकत्रित किया जाना था। 

आयोग का कार्यकाल 10 बार बढ़ाया गया

सीएम साय ने बताया कि, आयोग का कार्यकाल छह महीने में प्रतिवेदन शासन को सौंप कर गठन किया गया था। लेकिन प्रतिवेदन जरूरी होने के कारण आयोग का कार्यकाल 10 बार बढ़ाया गया, आखिरी बार 2 महीने की अवधि के लिए 31 दिसंबर 2022 तक के लिये बढ़ाया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट और प्रतिवेदन 21 नवंबर 2022 को राज्य सरकार को सौंपा था। 

रिपोर्ट किसी भी संस्थाओं को नहीं दी गई

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, प्रतिवेदन किसी भी संस्थाओं को नहीं दी गई है। क्वांटिफायबल डाटा आयोग के चेयरमैन सेवानिवृत्त जिला और सेशन जज थे। आयोग में सदस्य नियुक्त नहीं किए गए थे। आयोग के चेयरमैन को मानदेय और समान पद के न्यायिक अधिकारियों को उपलब्ध सुविधाएं दी गई थी। कुल राशि की बात की जाए तो 1,07,06,856 रुपए व्यय की गई है। 

डाटा का उपयोग यहां पर हुआ है

सीएम ने बताया कि, राज्य शासन ने आयोग से मिली उक्त निष्कर्ष और डाटा का उपयोग छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था संशोधन विधेयक, 2022 में किया गया है। 

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण किया है

मुख्यमंत्री ने बताया कि, आयोग का गठन राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण कर क्वांटिफायबल डाटा एकत्रित कर प्रतिवेदन शासन को सौंपने के लिए गठन किया गया था। आयोग से लेकर डाटा को राज्य सरकार ने स्वीकार कर छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 में किया है।