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कृषि विवि परिसर लगभग दस करोड़ की लागत में से कलर डाप्लर लगाने का काम अंतिम स्तर पर है और अगले तीन से चार माह में इसे एक्टिव कर लिया जाएगा।

रायपुर। छाने वाला बादल बारिश करवाएगा या कुछ देर में छंट जाएगा...। धूप किस इलाके में ज्यादा गर्मी की वजह बनेगी, इस तरह की सटीक रिपोर्ट तीन मिनट में ही मिल जाएगी। कृषि विश्वविद्याल परिसर लगभग दस करोड़ की लागत में से कलर डाप्लर लगाने का काम अंतिम स्तर पर है और अगले तीन से चार माह में इसे एक्टिव कर लिया जाएगा। अभी आसमानी हलचल की रिपोर्ट प्राप्त करने में मौसम विशेषज्ञों को लगभग आधा घंटे का वक्त लगता है।

जानकारी के अनुसार,  तीस मीटर की ऊंचाई वाला राडार आसपास के करीब तीन सौ किलोमीटर के दायरे को कव्हर करेगा। मौसम विभाग जुड़े विशेषज्ञों का दावा है कि अभी मौसम को लेकर किसी तरह की रिपोर्ट प्राप्त करने में आधा घंटे का वक्त लगता है, मगर राडार के एक्टिव होने के बाद जानकारी तीन से पांच मिनट में मिल जाएगी, जिसे जल्द से जल्द प्रसारित किया जा सकेगा। राडार का वास्तविक उपयोग बारिश के मौसम में किया जा सकेगा। इससे किसी इलाके में छाने वाले बादल और उसके बरसने की स्थिति का आकलन और सटीक तरीके से किया जा सकेगा। इससे बस्तर जैसे इलाके में होने वाली अतिभारी बारिश के नुकसान को टालने में काफी मदद मिल सकेगी। सूत्रों के अनुसार राडार लगाने काम अंतिम स्तर पर पहुंच चुका है। यहां इंटरनेट सहित अन्य मूलभूत सुविधा जुटाने का काम पूरा किया जा रहा है। इसके बाद राडार में काम करने के लिए मौसम विशेषज्ञ सहित अन्य स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी।

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दो साल पहले एमओयू

इस कलर डाप्लर राडार को स्थापित करने के लिए भारत मौसम विभाग और कृषि विवि प्रबंधन के बीच दो साल पहले एमओयू किया गया था। इसका काम शुरू होने की धीमी शासकीय प्रक्रिया की वजह से निर्माण अपने निर्धारित लक्ष्य से पिछड़ गया था। राडार स्थापित करने की योजना काफी पुरानी थी, मगर स्थल चयन की वजह से इसे स्थापित करने की प्रक्रिया में काफी देर भी हुई थी।

लालपुर और एयरपोर्ट में हुआ कैंसिल

भारत मौसम विज्ञान का यह कलर डॉप्लर राडार सबसे पहले लालपुर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र में लगाने की तैयारी थी, मगर घनी बस्ती और निकट की पानी टंकी की वजह से इसे रद्द किया गया था। इसके बाद माना एयरपोर्ट में इसे स्थापित करने का विचार शुरू किया गया। विमानों की आवाजाही पर विपरीत प्रभाव होने की वजह से कैंसिल किया गया और तब कृषि विवि परिसर में सहमति बनी।
 

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